चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है। अपने हलफनामा में चुनाव आयोग ने आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को लेकर सबकुछ स्पष्ट कर दिया है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि क्या इन दस्तावेजों का उपयोग विशेष गहन पुनरीक्षण में किया जा सकता है या नहीं?

क्या आधार कार्ड वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को चुनावी लिस्ट बनाने के लिए सही माना जा सकता है? अब इसपर चुनाव आयोग ने सोमवार शाम को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है। इसमे चुनाव आयोग ने साफ-साफ कहा है कि आधार कार्ड वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को हम वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए सही नहीं मानते हैं।

चुनाव आयोग ने अपने हलफनामा में कहा है कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान का प्रमाण है। इससे यह साबित नहीं होता कि कोई व्यक्ति वोट डालने के लिए योग्य है। इसके अलावा देश में बहुत सारे फर्जी राशन कार्ड भी चत रहे हैं जिसके चलते राशन कार्ड को भी सहा नहीं माना जा सकता है। वहीं अगर हम पुराने वोटर कार्ड को ही सही मान लिया जाएगा तो फिर नए सिरे से लिस्ट बनाने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।

अगर किसी का नाम चुनावी लिस्ट में नहीं है तो क्या होगा? हालांकि चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी नागरिकता खत्म हो जाएगी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण करने में किसी भी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है।
EPIC का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता, चुनाव आयोग ने बताया वहीं चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि उन्होंने EPIC (मतदाता फोटो पहचान पत्र) को वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए सही क्यों नहीं माना। चुनाव आयोग का का कह है कि अगर हम पुराने वोटर कार्ड को ही सहा मान लेंगे तो फिर नए सिरे से लिस्ट बनाने कोई मतलब नहीं रह जाएगा। EPIC तो पहले से बनी लिस्ट का हिस्सा है इसलिए इसे नए सिरे से लिस्ट बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। है कि अगर हम पुराने वोटर कार्ड को ही सही मान लेंगे तो फिर नए सिरे से लिस्ट बनाने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। EPIC तो पहले से बनी लिस्ट का हिस्सा है। इसलिए इसे नए सिरे से लिस्ट बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है
SIR को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट म याचिका ऐप 11 विपक्षी पार्टियों, कुछ NGO और बिहार के कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका (petition) दायर की थी। इसमें उन्होंने SIR को रद्द करने और पिछले साल दिसंबर में बनी लिस्ट के आधार पर ही चुनाव कराने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की अपील की है।