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सीतामढ़ी के पुनौराधाम में माता जानकी मंदिर की आधारशिला 8 अगस्त को रखी जाएगी। भूमि पूजन के लिए 11 नदियों के पवित्र जल से लड्डू तैयार किया जाएगा। इसके लिए साउथ से कारीगर आयेंगे। लगभग 50 हजार लड्डू के पैकेट तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है।

: 8 अगस्त को देश के गृह मंत्री अमित शाह भव्य माता जानकी मंदिर की आधारशिला रखेंगे। शिलान्यास को लेकर तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है. खास बात यह है कि, इस दिन श्रद्धालुओं के लिए 11 नदियों के पवित्र जल से प्रसाद के तौर पर लड्डू तैयार किया जाएगा। कहा जा रहा है कि, इस लड्डू की महक हर किसी को तिरुपति बालाजी मंदिर की याद दिला देगी। दरअसल, भूमि पूजन के लिए बालाजी मंदिर की तर्ज पर ही विशेष लड्डू प्रसाद में बांटा जाएगा।

तिरुपति बालाजी मंदिर से आयेंगे कारीगर

इसके साथ ही लड्डू को बनाने के लिए साउथ से कारीगर बुलाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, लड्डू को बनाने के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर से ही कारीगर बुलाए गए हैं। ये कारीगर कल शाम तक सीतामढ़ी पहुंच जायेंगे। लगभग 50 हजार लड्डू प्रसाद के पैकेट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि एक भी श्रद्धालु खाली हाथ न लौटे।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं

शिलान्यास के दिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दो बड़े पंडाल बनाए जा रहे हैं  बड़ी संख्या में इस दिन श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना को देखते हुए जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर, शुद्ध पेयजल, शौचालय जैसी व्यवस्थाओं पर खास ध्यान रखा गया है। पड़ोसी देश नेपाल के साथ-साथ अन्य कई देशों के साधु-संत शिलान्यास के दिन पहुंचेंगे। ऐसे में किसी तरह की परेशानी ना हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

डिजाइन बनकर है तैयार

मालूम हो अयोध्या के राम मंदिर के तर्ज पर माता जानकी मंदिर का निर्माण होना है। अयोध्या राम मंदिर के ही वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा को पुनौराधाम मंदिर का वास्तु डिजाइन तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। ऐसे में डिजाइन बनकर तैयार है।

36 महीने में मंदिर तैयार करने का लक्ष्य

वहीं, बिहार के पर्यटन मंत्री की माने तो, माता जानकी मंदिर की ऊंचाई अयोध्या मंदिर से 5 फीट कम रखी गई है। अयोध्या के राम मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। जबकि पुनौराधाम में बनने वाले माता जानकी मंदिर की ऊंचाई 156 फीट होगी। 882 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर का निर्माण होना है। 36 महीने में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लेने का लक्ष्य तय किया गया है। यहां मंदिर के साथ-साथ धर्मशाला सहित अन्य धार्मिक पर्यटन सुविधाएं विकसित होंगी।