इस आदेश का उद्देश्य स्पष्ट है थानेदारों को अपने क्षेत्र का ‘रक्षक’ बनाना सिर्फ ‘कागजी अफसर’ नहीं इसके साथ ही जनता के बीच पुलिस पर भरोसा बढ़ाने की कोशिश भी है हालांकि कुछ पुलिसकर्मी इसे कठोर आदेश मान सकते हैं लेकिन आम जनता इसे कानून-व्यवस्था की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देख रही है

बिहार में बढ़ते आपराधिक घटनाओं के बाद पुलिस मुख्यालय पुलिसिंग को लेकर सख्त हो गया है पुलिस पेट्रोलिंग पर उठ रहे सवाल के बीच बिहार की पुलिसिंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया गया है पटना रेंज आईजी जितेंद्र राणा ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं कि अब राज्य के किसी भी थानेदार को ड्यूटी के दौरान अपने निजी घर पर नहीं रहना होगा बल्कि उन्हें थाने परिसर स्थित सरकारी आवास में ही रहना होगा यह आदेश न सिर्फ थानेदारों की जवाबदेही तय करेगा बल्कि रात में पुलिसिंग को सक्रिय और तत्पर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है

घर लौट जाते थे किसी आपात स्थिति में उनके अधीनस्थ अफसर उन्हें फोन पर सूचना देते रहते थे जिससे घटनास्थल पर उनकी उपस्थिति में देर हो जाती थी यह लापरवाही कई बार साक्ष्य मिटने अपराधी भागने या पीड़ित को तत्काल न्याय न मिलने की वजह बन चुकी थी रेंज आईजी ने इस रवैये पर अब सख्ती दिखाई है और स्पष्ट किया है कि थाने की जिम्मेदारी थानेदार को 24×7 निभानी होगी साथ ही उन्होंने पैदल गश्ती करने वाले पुलिसकर्मियों को भी अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखाई दे या कोई पुलिस को देख भागने लगे तो उसे तत्काल वायरलेस से सभी यूनिट्स को फ्लैश किया जाए ताकि उसे घेरा जा सके
इस आदेश का उद्देश्य स्पष्ट है थानेदारों को अपने क्षेत्र का ‘रक्षक’ बनाना सिर्फ ‘कागजी अफसर’ नहीं इसके साथ ही जनता के बीच पुलिस पर भरोसा बढ़ाने की कोशिश भी है हालांकि कुछ पुलिसकर्मी इसे कठोर आदेश मान सकते हैं लेकिन आम जनता इसे कानून-व्यवस्था की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देख रही है अब देखने वाली बात होगी कि यह आदेश ज़मीनी स्तर पर कितना प्रभावी होता है और पुलिस प्रशासन इसे कितनी गंभीरता से लागू करता है बिहार में कानून और आदेश तो पहले भी सख्त से सख्त लागू किये गये हैं लेकिन व्यावहारिक तौर पर वह देखने में कम ही मिलता है