Thu. Aug 7th, 2025

बिहार की मतदाता सूची से 65 लाख नामों की छंटनी ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। जहां चुनाव आयोग इसे विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का हिस्सा बता रहा है। वहीं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इसे गंभीर लोकतांत्रिक संकट मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 12 अगस्त को होनी है।

SIR प्रक्रिया से पहले बिहार में कुल 7.8 करोड़ मतदाता थे, लेकिन ताजा ड्राफ्ट लिस्ट में यह संख्या 7.2 करोड़ पर आ गई है। लगभग 8% वोटर सूची से बाहर हो गए।

ADR ने शीर्ष अदालत से मांग की है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दे कि:

मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख वोटरों के नामों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक किया जाए

विधानसभा, निर्वाचन क्षेत्र और बूथ स्तर पर पूर्ण और अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाए

65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटे

बिहार में चुनाव आयोग की ओर से SIR प्रक्रिया के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हट गए हैं। चुनाव आयोग की ओर से जारी ड्राफ्ट में बताया गया है कि बिहार में 22 लाख 34 हजार 501 मतदाताओं की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 36 लाख 28 हजार 210 ऐसे मतदाता है जो या तो दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं या फिर वो एब्सेंट पाए गए हैं। 70 हजार से अधिक मतदाता एक से अधिक जगह पर रजिस्टर पाए गए हैं। इस तरह से एसआईआर के बाद डारी ड्राफ्ट में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम कट गए हैं।

7.2 करोड़ हुई कुल मतदाताओं की संख्या

बिहार में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने से पहले कुल वोटरों की संख्या 7.8 करोड़ थी, लेकिन ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद यह आंकड़ा 7.2 करोड़ पर आ गया है। राज्य में मतदाताओं में भयंकर कमी को देखते हुए अब एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो चुनाव आयोग को निर्देश दे कि चुनाव आयोग पूर्ण और अंतिम विधानसभा, निर्वाचन क्षेत्र और भाग व बूथवार सूची जारी करे।

विपक्षी दल भी SIR को लेकर चुनाव आयोग पर हमलावर

चुनाव आयोग की ओर से कराए गए एसआईआर को लेकर बिहार के विपक्षी दल पहले से ही लामबंद हैं। खासकर आरजेडी ने पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हुए ईसी पर चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर चुनाव आयोग का कहना है कि उसके बेवजह बदनाम किया जा रहा है।

चुनाव आयोग ने कहा है कि अभी दावे और आपत्तियों के लिए एक महीने का समय दिया गया है.अगर किसी राजनीतिक पार्टी को इसमें खामी नजर आ रही है तो उसे आयोग में आपत्ति दर्ज करानी चाहिए।