इस पत्थर का एक और विशिष्ट गुण है इसका रंग। यह प्राकृतिक रूप से गहरा लाल होता है जो सूरज की रोशनी में और अधिक चमकदार नजर आता है यह रंग समय के साथ फीका नहीं पड़ता बल्कि और निखरता है जिससे मंदिर या इमारत को एक दिव्य और राजसी आभा प्राप्त होती है

जब भी देश में किसी भव्य मंदिर या ऐतिहासिक इमारत का निर्माण होता है तो एक नाम बार-बार सामने आता है राजस्थान का वंशी पहाड़पुर क्षेत्र यहां से निकाला जाने वाला लाल बलुआ पत्थर न सिर्फ मजबूती और टिकाऊपन के लिए मशहूर है बल्कि इसकी खूबसूरती और कलात्मकता भी इसे खास बनाती है अब यही पत्थर बिहार के सीतामढ़ी जिले स्थित पुनौराधाम में बन रहे मां जानकी मंदिर की भव्यता को आकार देगा। मंदिर निर्माण में पूरी तरह इसी पत्थर का उपयोग किया जा रहा है ताकि उसका सौंदर्य मजबूती और चमक वर्षों तक बनी रहे

राजस्थान के करौली जिले के वंशी पहाड़पुर क्षेत्र से निकाले जाने वाले इस खास पत्थर को रेड सैंडस्टोन यानी लाल बलुआ पत्थर के नाम से जाना जाता है यह पत्थर ना केवल अपने सुंदर लाल रंग के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी संरचना और बनावट ऐसी है कि यह वर्षों तक बिना किसी खास क्षति के टिका रहता है

इस पत्थर की सबसे पहली विशेषता इसकी प्राकृतिक मजबूती है यह लाखों वर्षों में भूगर्भीय प्रक्रियाओं के चलते बना होता है जिससे इसकी सघनता और टिकाऊपन बढ़ जाती है। यही वजह है कि देशभर में जहां भी लंबे समय तक टिकाऊ और मजबूत संरचना की आवश्यकता होती है वहां इस पत्थर को प्राथमिकता दी जाती है। यह पत्थर आसानी से टूटता-फटता नहीं है और मौसम के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता।
इसके अलावा इस पत्थर की बनावट भी इसे अद्वितीय बनाती है इसकी सतह बेहद महीन और समरूप होती है जिस पर नक्काशी और कलात्मक चित्र उकेरना कारीगरों के लिए बेहद आसान होता है मंदिरों की दीवारों पर जटिल कथाएं देवी-देवताओं की मूर्तियां और धार्मिक प्रतीक उकेरे जाते हैं जिनमें अत्यंत बारीकी की आवश्यकता होती है। इस पत्थर की समरूपता और सख्ती यह सुनिश्चित करती है कि उस पर की गई कलाकृति न केवल स्पष्ट रूप से दिखे बल्कि वह लंबे समय तक वैसी ही बनी रहे
आसानी से सह लेता है मौसम की मार
इस पत्थर का एक और विशिष्ट गुण है इसका रंग। यह प्राकृतिक रूप से गहरा लाल होता है जो सूरज की रोशनी में और अधिक चमकदार नजर आता है। यह रंग समय के साथ फीका नहीं पड़ता बल्कि और निखरता है जिससे मंदिर या इमारत को एक दिव्य और राजसी आभा प्राप्त होती है।
वंशी पहाड़पुर का यह पत्थर मौसम की मार भी आसानी से सह लेता है। यह न तो गर्मी में सिकुड़ता है और न ही ठंड या बारिश में फैलता है तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जिससे यह हर मौसम के लिए उपयुक्त बनता है। यही कारण है कि यह पत्थर समय की रफ्तार को थामने वाला कहा जाता है