महागठबंधन में कोई घटक दल अपनी सीटें घटाने को तैयार नहीं. सभी अधिक सीटें चाहते हैं. कांग्रेस तो मेहनत ही इसलिए कर रही है कि उसकी सीटें घटाने की नौबत न आए. महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी तो पुराने साथी रहे हैं. नए साथियों में वीआईपी के मुकेश सहनी को समझ पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है.

वे जिस तरह 60 सीटों और डेप्युटी सीएम पद के लिए अड़ गए हैं और उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर तैयारी की बात करने लगी है, उससे तो यही लगता है कि सहनी के मन में कोई खोट है. उन्हें भी यह पता है कि किसी की सीट काट कर ही उन्हें सीटें मिलनी हैं. ऐसे में जिद पर अड़ जाना उनकी नीयत पर संदेह का कारण बनता है.
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुद्दे अब साफ हो गए हैं. महागठबंधन नीतीश राज में अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने का वादा करेगा. वोटर को आकर्षित करने के लिए महागठबंधन के लोकलुभावन वादे भी होंगे. गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) की गड़बड़ियां गिनाने-बताने के लिए राहुल गांधी 17 अगस्त से पखवाड़े भर बिहार में ही प्रवास करेंगे. इसके जरिए वे महागठबंधन के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की कोशिश करेंगे.

प्रवास के दौरान वे बिहार के ज्यादातर जिलों में पद यात्रा करेंगे. उनकी पदयात्रा सासाराम से सीमांचल तक के 50 महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी. महागठबंधन की एकजुटता दिखाने के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई (एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य समेत महागठबंधन के अन्य नेता भी राहुल गांधी की पदयात्रा में शामिल होंगे. इन सबके बावजूद आरजेडी और महागठबंधन के बीच जो पेंच फंसा है, वह कितना ढीला होता है, यह देखना दिलचस्प होगा.