बिहार के कई इलाके इन दिनों बाढ़ की चपेट में हैं. गंगा, गंडक, कोसी और बागमती सहित कई नदियां उफान पर हैं और तांड़व मचाने में जुटी हैं. नदियों का लगातार बढ़ते जलस्तर से कटाव बढ़ता जा रहा है और ये नदियां रास्ते में पड़ने वाली हर चीज को बहाकर ले जा रही हैं. इसी कड़ी में सीतामढ़ी में बागमती नदी कहर बरपाने में जुटी है. बागमती नदी के कटाव से डरकर लोग अब खुद ही अपने घरों को तोड़ने में जुटे हैं. सुप्पी प्रखंड के जमला परसा गांव के लोग अपने अपने घर जमीन को बचाने की जद्दोजहद कर रहे है.

यहां कई परिवार तो अपने आशियाना को बुलडोजर से तोड़ रहे हैं, ताकि ईंट पत्थर को सुरक्षित किया जा सके. JCB के जरिए पक्के मकान को तोड़ जा रहा है और घर के सभी सामान को सुरक्षित जगह ले जाने की कोशिश कर रहे हैं यहां हर साल बागमती नदी लोगों के लिए आफत बन कर आती है. इससे पहले भी गांव से कई परिवार अपना घर छोड़ अन्य जगहों पर पलायन कर चुके हैं. प्रशासन की ओर से यहां स्थाई निदान नहीं किया जा सका है. प्रत्येक वर्ष मानसून के मौसम में कटाव रोकने के लिए निरोधात्मक कार्य कराए जाते हैं. बावजूद समस्या का निदान नहीं हो पाता है

दरअसल यह गांव बागमती नदी बांध के भीतर बसा हुआ है, जिसके कारण हर साल बागमती नदी का कटाव बस्ती की ओर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में जरूरत है इस बस्ती के लोगों को पुनर्वास कराने की, ताकि इस प्रकोप से बचा जा सके. ग्रामीणों की माने, तो नदी के कटाव से अब तक सैकड़ों एकड़ भूमि विलीन हो चुकी है, तो फसल लगी खेत भी बागमती नदी निगल गई है. ग्रामीणों ने बताया कि बागमती नदी के रौद्र रूप को देखकर गांव के लोग अपने निजी खर्च से जेसीबी से पक्का का मकान तोड़ रहे है और सामान लेकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे है. पूरे गांव में हाहाकार मचा हुआ है.
