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19 मार्च 2020 को लूट के दौरान दिया था हत्या को अंजाम

सीतामढ़ी कोर्ट। वर्ष 2020 में रून्नीसैदपुर में स्वर्ण व्यवसायी से लूट के दौरान हत्या मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय ज्योति कुमार ने बुधवार को सात में से पांच आरोपितों को धारा 302 (34) भादवि में उम्रकैद (आजीवन कारावास) की सजा सुनायी है। साथ ही एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की राशि नहीं चुकाने पर 10-10 माह अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।

सजा पाने वालों में रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के ही गैघट गांव निवासी महेंद्र साह के पुत्र विजय साह, रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के रैन खड़का गांव निवासी मो हामिद के पुत्र मो सद्दाम, कन्हौली थाना क्षेत्र के अररिया गांव निवासी तिलधारी महतो के पुत्र विजय महतो, रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के रैन खड़का गांव निवासी मो हामिद के पुत्र मो सद्दाम, बेलसंड थाना क्षेत्र के शिवनगर भंडारी गांव निवासी उदय चंद्र मिश्रा के पुत्र सुजीत कुमार मिश्रा एवं डुमरा थाना क्षेत्र के भीसा गांव निवासी राजगीर राय के पुत्र शशि भूषण राय उर्फ शशि यादव शामिल है। इसमें शशि भूषण राय उर्फ शशि यादव फरार चल रहा है। हालांकि अलग-अलग धाराओं में इन सभी को सजा मिली है। धारा 307 (34) भादवि में इन सभी को 10-10 सश्रम कारावास तथा 20-20 हजार रुपया अर्थदंड की सजा मिली है। नहीं चुकाने पर पांच-पांच माह अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।

धारा 394 (34) भादवि में 10-10 वर्ष सश्रम कारावास, 20-20 हजार रुपये अर्थदंड तथा नहीं चुकाने पर पांच-पांच माह अतिरिक्त कारावास, धारा 120 (बी) भादवि में आठ-आठ वर्ष कारावास, नहीं देने पर छह-छह माह अतिरिक्त कारावास तथा 412 (34) भादवि में आठ-आठ वर्ष कारावास, 50-50 हजार रुपये अर्थदंड तथा नहीं देने पर छह-छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।

वहीं, दो अन्य अभियुक्त परिहार थाना क्षेत्र के जगदर गांव निवासी अ क्रमशः धड़कन महतो के पुत्र कमलेश महतो एवं जय नारायण साह के पुत्र संजय कुमार को 412 भादवि में आठ-आठ वर्ष कारावास तथा 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड की राशि नहीं चुकाने पर छह-छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। 28 अगस्त 2025 को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सभी सात अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। मामले के एक आरोपित जिले के नगर थाना क्षेत्र के जानकी स्थान निवासी संजय कुमार सर्राफ के पुत्र रोहित कुमार को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया था। मामले में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक हरि मोहन झा ने पक्ष रखा। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अखिलेश्वर, अमर कुमार मिश्रा, नीतू  देवी, प्रगति श्रीवास्तव, राकेश कुमार झा एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने बहस किया।

क्या है पूरा मामला। रून्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के रून्नीसैदपुर गांव निवासी अनिल महतो की पत्नी उर्मिला देवी ने 19 मार्च 2020 को पुलिस को बयान देकर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। जिसमें लूट के उपरांत पति की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया था। बताया था कि पति अनिल महतो अपने मित्र स्वर्ण व्यवसायी रुन्नीसैदपुर निवासी विनय साह के साथ दुकान बढ़ा कर आभूषण और पैसा लेकर घर आ रहे थे। तभी लखन ठाकुर के घर के निकट अचानक दो अपाचे बाइक से अज्ञात अपराधकर्मी विनय साह को घेर लिया और उसे पैसा तथा आभूषण का बैग छीनने लगे। उसी क्रम में अपराधियों ने विनय साह को गोली मार दी, जो उसके कूल्हा में लगी.. आभूषण, पैसा व विनय को बचाने के लिए जैसे ही पति दौड़े तो अपराधियों ने उन्हें सीने में गोली मार दी तथा पैसा व आभूषण सहित बैग छीन लिया। पति व जख्मी विनय साह को इलाज के लिए हॉस्पिटल ले गए, जहां मेरे पति की मृत्यु हो चुकी थी। अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने गुप्तचर के निशानदेही पर विजय साह को लूट के आभूषण व पैसा के साथ गिरफ्तार किया। उसी के दोष स्वीकारोक्ति बयान पर अन्य लोगों का नाम सामने आया और सभी की गिरफ्तारी भी हुई थी।

फैसला….

•प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वतीय ज्योति कुमार ने सुनायी सजा।

•सजा पाये पांच व्यक्तियों को 2.40 लाख का अर्थदंड लगा, दो अभियुक्त को आठ वर्ष कारावास व अर्थदंड।

•फरार चल रहा उम्रकैद की सजा पाया एक अभियुक्त।

•साक्ष्य के अभाव में एक आरोपित व्यक्ति की हुई थी रिहाई, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 28 अगस्त को पाया था दोषी।

नजीर साबित हुआ फैसला, तत्कालीन एसपी की भूमिका महत्वपूर्ण

फैसला के संबंध में अपर लोक अभियोजक हरि मोहन झा ने कहा कि आए दिन बढ़ रहे अपराध व अपराधियों के बढ़े मनोबल के लिए ये फैसला नजीर साबित होगा। क्योंकि, आदतन अपराधियों को ऐसा लगता था कि वह अपराध करेंगे और उनके विरुद्ध साक्ष्य  नहीं आएगा या पीड़ित पक्ष जो आम व्यक्ति है वह उसके विषय में कुछ नहीं कहेगा और ऐसा अमूमन होता भी है। किंतु इस फैसला से अपराधियों को सबके लेनी चाहिए कि कानून से बढ़ कर कुछ नहीं है। अपराधी कितना भी धूर्त क्यों न हो वह कानून की शिकंजे से नहीं बच सकता।

आम व्यक्ति में सुरक्षा की भाव जागृत हुई है, जो अपनी पीड़ा को न्यायालय के समक्ष बेखौफ होकर रखे हैं, जहां न्यायाधीश को भी फैसला करने में सहूलियत हुई है तथा अपराधियों को सजा मिला व पीड़ित को न्याय। इस मुकदमा के उद्भेदन में मुख्य भूमिका तत्कालीन एसपी हर किशोर राय ने अदा की थी, जो रात भर स्वयं मॉनिटरिंग कर अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करवाए थे तथा गवाहों को पुलिस सुरक्षा में न्यायालय तक पहुंचने की व्यवस्था स्पीडी ट्रायल का अनुशंसा किए थे।