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बिहार में शिक्षकों के 50 हजार पद रह गए खाली

प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 91 हजार पदों पर चल रही शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में अब भी 50 हजार से अधिक पद खाली रह गये हैं। शिक्षा विभाग को ‘योग्य’ अभ्यर्थी नहीं मिल रहे है। वह भी तब जबकि छठे चरण के तहत नियोजन प्रक्रिया 34 महीने से (5 जुलाई 2019) से चल रही है। चार बार योग्य अभ्यर्थियों के चयन को काउंसिलंग हो चुकी है। जुलाई व अगस्त 2021, फरवरी 2022 में हुई काउंसिलिंग के अलावा हाल ही छूटी हुई नियोजन इकाइयों में चयन का विशेष चक्र हुआ।



90 हजार 762 पदों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के तहत अब तक महज 40 हजार ही नियुक्ति पत्र बांटे जा सके हैं। तीन सामान्य काउंसिलिंग चक्रों के तहत 41 हजार 515 चिनयित हुए। इनमें से 39 हजार 057 की ज्वाइनिंग हुई। वहीं 18 अप्रैल के विशेष चक्र में करीब 2300 पदों के लिए काउंसिलिंग के दौरान 1377 का चयन हुआ और 932 को ही नियुक्ति पत्र दिए गए। 445 चयनितों के प्रमाण पत्र संदेहास्पद होने से उनकी जांच चल रही है। इस तरह चार चरणों को मिलाकर 50 हजार 771 प्रारंभिक शिक्षकों के पद रिक्त रह गए हैं। जो पद खाली हैं उनमें बड़ी तादाद गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी विषयों के शिक्षकों के हैं। नियोजन इकाइयों को योग्य अभ्यर्थियों के आवेदन ही नहीं मिले।



वहीं सामाजिक विज्ञान विषय में राज्यभर में सबसे अधिक भीड़ रही। पहले दो चरण की काउंसिलिंग की रिपोर्ट के मुताबिक ही उर्दू शिक्षकों के करीब 14 हजार पदों पर अभ्यर्थी नहीं मिले। जबकि मध्य विद्यालयों में गणित के 60, संस्कृत के 75, अंग्रेजी के 40, हिन्दी के 50 और उर्दू शिक्षकों के 70 फीसदी पद खाली रह गए हैं।

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