पटना के अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहैबिलिटेशन के मेडिकल डायरेक्टर डॉ.आशीष सिंह को हैदराबाद के अपोलो अस्पताल ने अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण की लिए गेस्ट सर्जन के रुप में आमंत्रित किया है। देश के शीर्ष जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन और पटना के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष सिंह ने बीते 1 जून को हैदराबाद के अपोलो जैसे बड़े अस्पताल में अपनी सेवा दी।

यह पहली बार नहीं है जब पटना के डॉ. आशीष सिंह को हैदराबाद जैसे बड़ें शहरों के प्रसिद्ध अस्पतालों में उन्नत सेवा के लिए बुलाया गया है। इससे पहले भी डॉ. आशीष सिंह को अमृतसर के प्रकाश हॉस्पिटल में सेवा और ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया जा चुका है। इस दौरान हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष सिंह ने घुटनों और कूल्हे के प्रत्यारोपण की आधुनिक रोबोटिक तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसकी मदद से अब 100 प्रतिशत सफल प्रत्यारोपण होता है।

उन्होंने बताया कि बदलती जीवनशैली और लंबी उम्र होने के कारण एक बड़ी आबादी को आज घुटने और कूल्हे के प्रत्यारोपण की आवश्यकता है। इसको लेकर अभी भी मरीजों में बहुत सी गलतफहमियां हैं और जागरूकता की कमी है। आज के समय में जोड़ प्रत्यारोपण की सर्वश्रेष्ठ सर्जरी रोबोटिक आर्म की सहायता से होती है, जो इस क्षेत्र की नई तकनीक है। कुछ समय पहले तक यह यूरोप और अमेरिका में ही होती थी लेकिन भारत में सबसे पहले इसकी शुरुआत की।

अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहैबिलिटेशन, पटना में विश्व की अत्याधुनिक तकनीक से लैस रोबोट लियो- 2, भारत में सबसे पहले अगस्त 2020 से ही मौजूद है। इसके बाद ही देश के अन्य शहरों में यह सुविधा उपलब्ध हुई है। प्रत्यारोपण का काम रोबोटिक आर्म की सहायता से उच्च दक्षता के साथ होता है जिसके कारण गलती होने की संभावना नहीं रहती है। मरीज को प्राकृतिक घुटने जैसा एहसास होता है। मरीज अपने सभी रोजमर्रा के काम किसी भी दूसरे व्यक्ति की तरह बड़े आराम से कर सकता है। भविष्य में भी कभी कोई परेशानी नहीं आती है।



बता दें कि डॉ. आशीष सिंह रोबोट की सहायता से घुटने और कूल्हे का प्रत्यारोपण करने वाले देश के पहले और सबसे ज्यादा अनुभवी डॉक्टर हैं। यूनाइटेड किंगडम से आर्थोपेडिक्स में एम.सी.एच की उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने बतौर जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ सर्जन की पहचान बनायी है। देश – विदेशों में उन्होंने घुटने और हिप की जटिल सर्जरी काफी संख्या में की है। अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक में भी वे हजारों की संख्या में आर्थोपेडिक्स सर्जरी कर चुके हैं।