क्या आपने कभी सुना है मोबाइल फोन खराब होने से किसी की तबीयत खराब हो सकती है? नहीं सुना है तो खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ऑनलाइन गेम खेलने का नशा बच्चों और युवाओं में बढ़ता जा रहा है. चित्तौड़गढ़ में युवक को ऑनलाइन गेम की लत पर रस्सी से बांधना पड़ा. ‘फ्री फायर’ के चक्कर में युवक अजीब जैसी हरकतें करने लगा. हाइवे पर ड्राइवरों को रोककर हैकर-हैकर चिल्लाने लगता है. लोगों के संभालने पर फिर भागने लगता है. युवक का किरदार गेम की तरह हो गया है. किरदार से बाहर आने की कोई स्थिति भी नहीं बची है.

ऑनलाइन गेम के नशे ने युवक को बनाया बीमार

ब्लू व्हेल ऑनलाइन गेम के बाद पब्जी गेम की लत के चलते कई लोगों ने जान गंवा दी. अब फ्री फायर गेम की लत का मामला सामने आया है. फ्री फायर ऑनलाइन गेम की लत में युवक पागल की हरकत करने लगा. गेम का ऐसा नशा कि सड़कों पर भागता है. युवक से परेशान होकर परिजन और ग्रामीणों ने रोकने के लिए पलंग पर बांध दिया.

दरअसल मामला चित्तौड़गढ़ के भजन सर इलाके का है, जहां 22 वर्षीय इरफान अंसारी कुछ दिन पहले ही बिहार के छपरा से चित्तौड़गढ़ मजदूरी करने आया था. युवक को घंटों फ्री फायर गेम खेलने की लत लग गई. रात को गेम खेलते वक्त अचानक से मोबाइल बंद हो गया. मोबाइल बंद होने से हालत पागलों जैसी हो गई. गेम की दुनिया से बाहर नहीं निकल सका. बार-बार हैकर हैकर, पासवर्ड चेंज और आईडी ब्लॉक जैसे शब्द बोलने लगा. रात भर लोगों ने समझाया गया मगर सुबह होते ही फिर वापस सिक्स लाइन हाईवे पर दौड़ने लगा. ड्राइवरों को रोककर आईडी हैक करने की बात करने लगा.

मामले की जानकारी मिलने पर दोस्त पकड़ कर लेकर आए और पलंग पर बांध दिया. सरपंच ने बताया कि बिहार निवासी मुस्लिम अंसारी 4 महीने से चित्तौड़गढ़ उदयपुर स्थान पर बजरंग होटल के बाहर दुकान लगा रखी है. छपरा जाने से पहले बिहार से बेटे इरफान को बुला लिया और दुकान संभालने के लिए कहा. युवक 10 दिन से काम कर रहा था और तबीयत खराब होने की जानकारी दी गई है

नशे पर लगाम लगाने के लिए मोबाइल से बनाएं दूरी

मनोचिकित्सक संजय गहलोत में बताया कि माहौल का असर पड़ता है. हम जिस माहौल में रहते हैं, उसी में ढल जाते हैं. ऑनलाइन गेम खेलने वाले वर्चुअल खुद की एक दुनिया बना लेते हैं. धीरे-धीरे इमोशन भी गेम से जुड़ने लगता है. उन्हें लगता है वर्चुअल दुनिया की घटना साथ में हो रही है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. सब कुछ काल्पनिक ही होता है. कई हिंसक, भड़काऊ दृश्य का नशा होता है. आजकल बच्चे और युवा पीढ़ी नशे की बड़ी समस्या से मानसिक तौर पर बीमार भी हो चुके हैं.

रोकथाम के लिए सबसे पहले आपको मोबाइल से थोड़ी दूरी बनानी होगी. आजकल आप देखते हैं कि परिवार के लोगों को समय नहीं होता है. ऐसे में बच्चे को मोबाइल दे देते हैं और बच्चे नशे के आदी हो जाते हैं. बच्चों की मानसिकता, चिड़चिड़ापन, मारपीट करना मां बाप के साथ लड़ाई झगड़ा करना या दुनियादारी से अलग करने की परिस्थितियां देखी जा रही हैं. गेम के नाम पर चक्रव्यू में युवा पीढ़ी को फंसाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात बच्चों और युवाओं को नशे से बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा.