अब हम आपको भारत के आम लोगों की उस आदत के बारे में बताएंगे, जिसमें वो Toothpaste की Tube को इस हद तक निचोड़ देते हैं कि उसमें से Paste का आखिरी अंश भी निकल आए. यही काम हम Shampoo की Bottle और Chips के पैकेट के साथ भी करते हैं. लेकिन अब बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इस आदत को पहचान लिया है. और अब साबुन, तेल, शैम्पू, Toothpaste, Cold Drink और Chips बनाने वाली इन कंपनियों ने आपको झांसा देने के लिए अपने Products के पैकेट को छोटा कर दिया है और उसके दाम वही रखे हैं. ताकि आपका सामान जल्दी-जल्दी खत्म होता रहे और आप उसी दाम पर उनके नए नए पैकेट खरीदते चले जाएं. अंग्रेजी में महंगाई को Inflation कहते हैं और बड़ी कंपनियों की इस चालाकी को Shrinkflation कहते हैं, जिसके तहत सामान का दाम तो उतना ही रहता है लेकिन पैकेट में उसकी मात्रा Shrink होती चली जाती है यानी सिकुड़ती चली जाती है

अगर आप Shrink-flation के इस सिद्धांत को अब नहीं समझते तो आपको और सरल तरीके से बताने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए आपको किसी कंपनी के Chips काफी पसंद हैं. तो ऐसी स्थिति में आपको उस कंपनी का नाम भी याद होगा और ये भी पता होगा कि वो Chips किस पैकेट में आते हैं और उस पैकेट का रंग क्या है. लेकिन सोचिए, अगर ये कंपनी इस Chips की कीमत में कोई बदलाव ना करके, सिर्फ पैकेट में इसकी मात्रा घटा दें और पैकेट का साइज छोटा कर दें तो क्या होगा? क्या आप इस बदलाव को नोटिस कर पाएंगे. जवाब है शायद नहीं और वो इसलिए क्योंकि आपको यही लगेगा कि आपने तो उतनी ही कीमत वाले Chips खरीदे हैं, जितने के आप हर बार खरीदते हैं. जबकि वास्तविकता में आपको उतने पैसों में उस चीज की उतनी मात्रा नहीं मिलेगी, जितनी पहले मिलती थी. और इसी Business Strategy को Shrink-flation कहते हैं. 

कोविड और यूक्रेन युद्ध में बढ़ गई ये Strateg

अगर आप Shrink-flation के इस सिद्धांत को अब नहीं समझते तो आपको और सरल तरीके से बताने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए आपको किसी कंपनी के Chips काफी पसंद हैं. तो ऐसी स्थिति में आपको उस कंपनी का नाम भी याद होगा और ये भी पता होगा कि वो Chips किस पैकेट में आते हैं और उस पैकेट का रंग क्या है. लेकिन सोचिए, अगर ये कंपनी इस Chips की कीमत में कोई बदलाव ना करके, सिर्फ पैकेट में इसकी मात्रा घटा दें और पैकेट का साइज छोटा कर दें तो क्या होगा? क्या आप इस बदलाव को नोटिस कर पाएंगे. जवाब है शायद नहीं और वो इसलिए क्योंकि आपको यही लगेगा कि आपने तो उतनी ही कीमत वाले Chips खरीदे हैं, जितने के आप हर बार खरीदते हैं. जबकि वास्तविकता में आपको उतने पैसों में उस चीज की उतनी मात्रा नहीं मिलेगी, जितनी पहले मिलती थी. और इसी Business Strategy को Shrink-flation कहते हैं.


कोविड और यूक्रेन युद्ध में बढ़ गई ये Strategy

हालांकि आप सोच रहे होंगे कि आज हम इस विषय की बात क्यों कर रहे हैं? तो इसका जवाब ये है कि कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया-भर की कंपनियां इस Business Strategy को अपना रही हैं. अब ये काफी सामान्य हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड और यूक्रेन युद्ध की वजह से इन कंपनियों की लागत और सप्लाई चेन पर खर्च पहले से ज्यादा बढ़ गया है. मजदूरों की कमी ने भी इन कंपनियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. इसलिए ये कंपनियां अपना Revnue बढ़ाना चाहती हैं और इसके लिए Shrink-flation से अच्छा विकल्प इनके लिए नहीं हो सकता.

इन कंपनियों ने अपनाया ये फंडा

क्योंकि अगर ये कंपनियां रेवन्यू बढ़ाने के लिए अपने Product की कीमत बढ़ाती हैं तो इससे उनके उपभोक्ता कम हो सकते हैं. जबकि Shrink-flation में ऐसा कुछ भी होने का खतरा नहीं है. यानी ये काफी सुरक्षित तरीका है, जिसके बारे में आम लोगों को पता भी नहीं चलता. हम आपको कुछ उदाहरण बताते हैं…

अमेरिका में Sun Maid नाम की एक कंपनी है, जो किशमिश को Packaged Food में बेचती है. पहले इसके एक पैकेट का वजन 630 ग्राम होता था. लेकिन अब जो नया पैकेट कंपनी लेकर आई है, उसका वजन 60 ग्राम कम कर दिया गया है. और अब ये पैकेट 570 ग्राम का आता है. लेकिन इसकी कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसकी बिक्री में भी कोई कमी नहीं आई है.