बिहार में परिवहन विभाग (Transport Department) बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है. विभाग ने करीब 4 लाख वाहनों के टैक्स डिफॉल्टर मालिकों पर केस दर्ज करने का फैसला लिया है. परिवहन विभाग पहले इन सभी वाहन मालिकों को नोटिस भेजेगा इसके बाद इन वाहन मालिकों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज किया जाएगा और ब्याज समेत टैक्स को वसूलने की रणनीति बनाई जाएगी.

बिहार में अभी लगभग 1 करोड़ से अधिक निबंधित गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं. इनमें से 3 लाख 94 हज़ार 174 वाहन मालिकों ने समय पर अपनी गाड़ी का टैक्स नहीं जमा किया है. परिवहन विभाग ने यह पाया है कि इन वाहन मालिकों में कई को पहले भी नोटिस भेजा जा चुका है लेकिन इसके बावजूद ऐसे मालिक चेक जमा करने के मामले में लापरवाह बने रहे हैं. विभाग एक बार फिर से ऐसे वाहन मालिकों को नोटिस देने की तैयारी कर रहा है.

नोटिस देने के 21 दिनों के बाद भी अगर वाहन मालिकों ने टैक्स जमा नहीं किया तो उनके खिलाफ सर्टिफिकेट केस दर्ज किया जाएगा. परिवहन विभाग के नियमानुसार टैक्स डिफॉल्टर पर 200% तक आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है. अगर सर्टिफिकेट केस दर्ज हो जाता है तब 12% ब्याज भी परिवहन विभाग वसूल सकता है. वाहन मालिकों को सरकार की तरफ से समय-समय पर रियायत भी दी जाती रही है. कोरोना काल में परिवहन विभाग ने एक मुश्त टैक्स जमा करने की घोषणा की थी.

तीसरा स्थान पूर्णिया का है जहां 25 हज़ार 967 वाहन मालिकों ने टैक्स जमा नहीं किया है. परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो टैक्स डिफॉल्टर गाड़ियों में सबसे ज्यादा व्यवसायिक गाड़ियां हैं. इनमें ट्रक, बस और मिनी बस पिकअप वैन जैसी गाड़ियों पर 95 फीसदी से अधिक टैक्स बकाया है. ऐसे वाहनों से सालाना 20 हजार तक का टैक्स लिया जाता है. इस तरह कुल मिलाकर बिहार में वाहन मालिकों पर 500 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स बकाया है.