रुन्नीसैदपुर प्रखंड के 5 गांव की 7 हजार स अधिक आबादी शहर से जुड़ने के लिए 20 साल से आपस में चंदा करबासबा से चचरी पुल बनाते हैं। इसमें साल करीब 2 लाख रुपए का खर्च आता है। बारिश के मौसम में बागमती नदी में उफान आने पर हर साल चचरी पुल बह जाता है।

फिर चार से छह माह तक यह इलाका अन्य भाग से कटा हुआ सा रहता है। तब नाव ही आवागमन का सहारा हुआ करता है। इस समस्या के स्थानीय समाधान के लिए लोगों ने जनप्रतिनिधि लेकर अधिकारियों से गुहार लगाई, पर कुछ नहीं हुआ। अब ग्रामीणों ने खुद ही पक्का पुल बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए ग्रामीणों ने सरकार से पुल बनाने की अनुमति देने की मांग की है। बागमती नदी की दूसरी तरफ शिवनगर, इब्राहिमपुर, बघौनी, रकसिया और भरथी गांव बसे हैं। यहां की 7 आबादी में मतदाताओं की संख्या करीब 4 हजार है।

जिला मुख्यालय से 38 किमी. की दूरी पर स्थित ये गांव पुल नहीं होने से मुख्य धारा से कटे हुए हैं। यहां के ग्रामीण चंदा कर चचरी पुल का निर्माण और उसकी रिपेयरिंग कराते हैं। पूर्व सरपंच हुल्लास साह ने बताया कि यह इलाका बाढ़ प्रभावित है। पुल नहीं होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है। बीमार लोगों को सबसे ज्यादा समस्या होती है। कई परिवार तो गांव छोड़कर दूसरे इलाकों में जाकर बस गए हैं। बारिश-बाढ़ के दौरान चार से छह महीने तक पूरा इलाका डूबा रहता है। इस कारण राहत सामग्री भी यहां तक नहीं पहुंच पाती है।

गांव की कई लड़कियों को आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ गई

छात्र पिंटू कुमार और सूरज ने बताया कि स्थायी पुल नहीं होने से चचरी पुल से जाना खतरनाक है। पुल टूट जाने पर नाव का सहारा लेना पड़ता है। इस वजह से गांव की कई लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी है। राधा ने बताया कि इस नदी को चाहे नाव से पार करें या बांस निर्मित पुल से, डर दोनों में है। क्योंकि नाव से डूबने तो चचरी पुल के टूटने का।

शादी-विवाह के लिए रहता है डायवर्सन बनने का इंतजार

शारदा देवी, रीता देवी ने बताया कि 6 माह नाव तो 6 माह चचरी के सहारे रहते हैं। बेटे-बेटियों की शादी के लिए डायवर्सन बनने का इंतजार करना पड़ता है। अगर डायवर्सन बना तो ठीक, नहीं तो शादी को अगले साल के लिए टाल दिया जाता है बागमती के पानी का बहाव तेज होने के कारण इ बार क्षतिग्रस्त बांध का निर्माण नहीं हुआ।

वोट के समय वादा किया था, बाद में फंड नहीं होने की बात कह रहे हैं

रामाश्रय कापड़ी, पंकज कापड़ी ने बताया कि विधायक पंकज मिश्रा चुनाव से पूर्व आए थे। उन्होंने चुनाव में जीत के बाद पुल बनवाने का वादा भी किया था। कुछ यही हाल मुखिया चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा किया गया। लोगों ने इस बार भी बांस का पुल बनाया, जिसका पैसा विधायक और मुखिया द्वारा बीडीओ से बात करवा दिलवाने का आश्वासन दिया गया। अब फंड नहीं होने की बात कह रहे हैं।

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