भारत-नेपाल (India-Nepal) के बीच कल से नई रेल सेवा शुरू होने जा रही है. यह रेल लाइन भारत के जयनगर और नेपाल के कुर्था के बीच बिछाई गई है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नई दिल्ली से इसका उद्घाटन करेंगे. यह रेल लाइन 34.5 किलोमीटर लंबी है. ईस्ट सेंट्रल रेलवे (ECR) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी बीरेंद्र कुमार ने बताया कि लंबे इंतजार के बाद शुरू हो रही इस रेल लाइन से भारत और नेपाल के आपसी संबंधों को नई मजबूती मिलेगी

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए 784 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है. पहले चरण में जयनगर (Jayanagar) और कुर्था (Kurtha) के बीच रेल संपर्क शुरू हो रहा है. दूसरे चरण में कुर्था से बीजलपुरा (Bijalpura) के बीच पटरियां बिछाने का काम भी पूरा हो चुका है.

इसके तीसरे चरण पर भी जोर शोर से काम चल रहा है, जो बीजलपुरा से बर्दिबास (Bardibas) के बीच बनाया जाना है. इसकी कुल लंबाई 69 किलोमीटर है. जयनगर और बीजलपुरा के बीच पहली बार रेल लाइन 1937 में ब्रिटिश काल में शुरू हुई थी. लेकिन 2001 में नेपाल में आई भयानक बाढ़ की वजह से ये संपर्क टूट गया था.

इस रेल लाइन के उद्घाटन के लिए दिल्ली आ रहे नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का एक मकसद भारत-नेपाल संबंधों को लेकर संदेश देने का भी है. काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक, यह किसी नेपाली पीएम की पिछले 3 साल में पहली भारत यात्रा है. भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी. नेपाल ने देश का नया नक्शा (Map) जारी कर दिया था, जिसमें भारत के कालापानी (Kalapani) को अपना क्षेत्र बताया था. उस समय केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) नेपाल के पीएम थे. उसके बाद नेपाल का कोई पीएम भारत नहीं आया. पिछले साल जुलाई में पदभार संभालने वाले देउबा अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आ रहे हैं. इस यात्रा के जरिए वह ये मैसेज मुख्य तौर पर देने वाले हैं कि भारत और नेपाल के संबंध पटरी पर हैं.

पिछले पीएम से अलग है देउवा का रुख

नेपाल के पीएण शेर बहादुर देउबा जनवरी में गुजरात समिट में भारत आने वाले थे, लेकिन कोरोना की वजह से ये समिट रद्द होने पर उनकी यात्रा टल गई. देउवा बतौर प्रधानमंत्री पहली बार 1996 में भारत आए थे. देउबा के बारे में माना जाता है कि वह भारत के खिलाफ बहुत ही कम बोलते हैं, जबकि उनसे पहले पीएम रहे केपी शर्मा ओली ने तो भारत को ऐसा वायरस बता दिया था, जो बाकियों से कहीं खतरनाक है.