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बदलाव की बयार में बह गए कई पुराने उम्मीदवार, 22 पंचायतों में 16 में बने नए मुखिया

बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav 2021) में इस बार बदलाव की बयार देखने को मिली है. ग्रामीणों ने मुखिया पद के लिए नए उम्मीदवारों पर विश्वास जताया है. शुक्रवार को बिहार पंचायत चुनाव के आठवें चरण का परिणाम जारी किया गया. आठवें चरण में जमुई जिला के खैरा प्रखंड में 16 नए मुखिया प्रत्याशी विजयी हुए हैं. वहीं 2 पंचायतों के मुखिया ने हैट्रिक लगाई  है, जबकि  4 पंचायतों के मुखिया पर वहां के मतदाताओं ने एक बार फिर अपना भरोसा जताया है. बता दें की खैरा प्रखंड के 22 पंचायतों में मतदान हुआ था. जमुई जिले में एक डॉक्टर भी प्रधान बन गए हैं. वो  लगभग डेढ़ दशक से स्वास्थ्य सेवा से जुड़कर कोलकाता में प्रैक्टिस कर रहे थे.

खैरा प्रखंड के बानपुर पंचायत के लोगों ने चिकित्सा जगत से जुड़े एक शख्स को अपना मुखिया चुना है. डॉक्टर इबरार आलम जो कि लगभग डेढ़ दशक से चिकित्सा सेवा से जुड़कर कोलकाता में अपनी प्रैक्टिस करते रहे हैं. डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन की डिग्री और शोध करने वाले डॉक्टर इबरार कोरोना के कारण लॉकडाउन में घर लौटे थे, फिर गांव के लोगों को कोरोना काल में अपनी सेवा दी. कोरोना मरीजों का मुफ्त में इलाज किया.

इसके बाद डॉक्टर इबरार को गांव वालों ने चुनाव लड़ने की सलाह दी. लोगों की बात सुनकर वो गांव के चुनावी मैदान में उतर गए.पंचायत चुनाव में उनकी जीत हुई और वो डॉक्टर से मुखिया बन गए हैं. अपनी जीत पर  डॉक्टर इबरार ने कहा कि  गांव में हाई स्कूल बेहद जरूरी है, शिक्षा को बढ़ावा देना और साथ ही गांव और पंचायत के विकास करने के लिए ही उन्होंने मुखिया पद का चुनाव लड़ा है. इबरार ने आगे कहा कि जो गांव पंचायत के विकास के लिए जो भी संभव होगा वो करेंगे.

राजनीतिक दलों से संबंध रखने वाले उम्मीदवारों को मतदाता ने कहा ‘नो’
खैरा प्रखंड के पंचायत चुनाव परिणाम पर गौर करें तो यहां वैसे लोगों को भी जनता ने नकार दिया जो राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखते हैं.  कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हरेंद्र प्रसाद सिंह की पत्नी बबली सिंह जिला परिषद की उम्मीदवार थी लेकिन उन पर वहां के मतदाताओं ने अपना भरोसा नहीं दिखाया और वह चुनाव हार गईं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सिकंदरा सीट से बसपा के चुनाव लड़ने वाले जीत झिंगाई पंचायत के मुखिया नंदलाल रविदास जी चुनाव हार गए. उन्हें हराकर  शंभु मांझी मुखिया निर्वाचित हुए. विधानसभा चुनाव में हार के बाद पंचायत चुनाव के में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. यही हाल लोजपा के प्रत्याशी रहे रवि शंकर पासवान का भी है. रविशंकर पासवान की भाभी गोपालपुर पंचायत से मुखिया पद की प्रत्याशी थी. सिकंदरा विधानसभा से लोजपा के प्रत्याशी रहे रवि शंकर पासवान की भाभी पर मतदाताओं ने अपना विश्वास नहीं जताया है

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