Medical syringes are seen with 'Monkeypox' sign displayed on a screen in the backgound in this illustration photo taken in Krakow, Poland on May 26, 2022. (Photo by Jakub Porzycki/NurPhoto via Getty Images)

देश में मंकीपॉक्स का चौथा मामला है। इसके पहले मंकीपॉक्स के तीन मामले केरल में सामने आ चुके हैं। आल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा है कि मंकीपॉक्स से घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह कोविड 19 की तरह संक्रामक नहीं है और यह उसकी तरह तेजी से नहीं फैलता है। इसमें मृत्यु दर बहुत कम है और ज्यादातर मरीज 14-21 दिन में स्वस्थ हो जाते हैं। मंकीपॉक्स 99 फीसदी मामलों में समलैंगिक पुरुषों में होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सहित देश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस तरह की बीमारी को हैंडल करने में पूरी तरह सक्षम है, लिहाजा यह चिंता का बड़ा कारण नहीं है। हालांकि, इससे बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।

मंकीपॉक्स दुनिया के 74 देशों में फैल चुका है। अब तक इसके 16,836 मामले सामने आ चुके हैं। यह सबसे ज्यादा समलैंगिक पुरुषों में फैलता है, इसलिए इस तरह के संबंधों से बचने की कोशिश करनी चाहिए। जिन लोगों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, उनसे दूरी रखनी चाहिए। चूंकि, कोविड की तरह यह तेज संक्रामक नहीं है, इससे संक्रमण का खतरा कम है। मंकीपॉक्स पीड़ित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने के बाद ही इस तरह की बीमारी होने की संभावना होती है। इस बीमारी में सबसे पहले चेचक की तरह बुखार आता है और मांसपेशियों में दर्द होता है। इसलिए लक्षण सामने आने के बाद सबसे पहले बुखार को कम करने का प्रयास किया जाता है।

मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा केस स्पेन में 3125, अमेरिका में 2890, जर्मनी में 2268, ब्रिटेन में 2208 और फ़्रांस में 1567 मामले सामने आ चुके हैं। भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में आया था, जिसका मरीज विदेश से आया था। इसके बाद केरल में ही एक अन्य मामला भी विदेश से आये हुए मरीज का सामने आया था। तीसरा मरीज भी केरल से था, लेकिन इसका विदेश से कनेक्शन स्थापित नहीं हो पाया था। दिल्ली में सामने आए देश के चौथे मंकीपॉक्स के मरीज के भी विदेश से आने की कोई सूचना नहीं है। यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि मंकीपॉक्स का वायरस अन्य माध्यमों से भी फैल सकता है।

ये हैं लक्षण


मरीज में चेचक और वायरल बुखार से मिलते-जुलते लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
इसमें मरीज को बुखार होता है, मांसपेशियों में दर्द होता है।
गर्दन और हाथ की चमड़ी पर 2-5 मिलीमीटर के फफोले पड़ जाते हैं।
इनमें पानी भर जाता है, गंभीर स्थिति में इसमें मवाद भर सकती है।
फफोले 21-28 दिन के अन्दर सूख जाते हैं और पपड़ी पड़ जाती है।