बिहार के पूर्वी चंपारण में बनाए जाने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे रामायण मंदिर (Ramayan Mandir, Bihar) के लिए एक मुस्लिम परिवार ने ढाई करोड़ रुपए से अधिक कीमत की अपनी जमीन दान कर दी है। यह मंदिर पूर्वी चंपारण जिला के कैथवलिया में बनाया जाना है। गांव के जमींदार इश्त्याक अहमद खान ने विराट रामायण मंदिर के लिए पूरी आस्था के साथ जमीन दान में दी है। गुवाहाटी में व्यवसाय कर रहे इश्तयाक अहमद खान और उनके परिजनों ने बीते बुधवार को पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया निबंधन कार्यालय में अपनी 23 कट्ठा (71 डिसमिल) जमीन का दानपत्र विराट रामायण मंदिर को निबंधित करा दिया।

मंदिर के लिए जमीन देने की शुरुआत भी की 

सरकारी मुआवजे की दर के हिसाब से इस जमीन का मूल्य ढाई करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। इश्तयाक अहमद खान ने सोमवार को स्वयं पटना के महावीर मंदिर में इसकी जानकारी मीडिया को दी। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पूर्व में भी इश्त्याक अहमद खान के परिजनों ने विराट रामायण मन्दिर के लिए जमीन लेने में बहुत सहयोग किया है। उन्होंने बताया कि महावीर मंदिर की इस अति महत्वपूर्ण परियोजना के लिए कैथवलिया में जमीन देने की शुरुआत भी खान परिवार ने ही की। उन्होंने सबसे पहले मुख्य सड़क पर अवस्थित अपनी बेशकीमती जमीन किफायती दर पर मंदिर निर्माण के लिए दी। उसके बाद गांव के दूसरे लोगों ने भी प्रेरणा पाकर रियायती दरों पर जमीन देना शुरू किया।

अब तक मिल चुकी है 100 एकड़ जमीन

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि विराट रामायण मंदिर के लिए अब तक एक सौ एकड़ जमीन मिल चुकी है। 25 एकड़ जमीन और मिलनी है। कुल 125 एकड़ पर विश्व का सबसे ऊंचा और विशालतम मंदिरों में एक विराट रामायण मंदिर का निर्माण होगा।

250 साल से ज्यादा होगा टिकाऊ

विराट रामायण मन्दिर का स्ट्रक्चरल डिजाइन इस प्रकार होगा कि ढाई सौ साल से अधिक समय तक यह टिकाऊ होगा। इसके लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक पद से हाल ही में सेवानिवृत्त विनीत जायसवाल को विराट रामायण मन्दिर परियोजना का मुख्य परामर्शी बनाया गया है। 250 साल से ज्यादा टिकाऊ डिजाइन और ढांचे के साथ बन रहे नये संसद भवन का निर्माण उनकी ही देखरेख में प्रारंभ हुआ। विराट रामायण मन्दिर के निर्माण में नये संसद भवन के निर्माण में लगे तकनीकी विशेषज्ञों और दक्ष कारीगरों की सेवा ली जा रही है। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि संसद भवन का काम पूरा कर बहुत जल्द ऐसी एक टीम विराट रामायण मंदिर के निर्माण में जुट जाएगी।

ऐसी मान्यता है कि जनकपुर से अयोध्या लौटने के क्रम में भगवान राम की बारात देवकी नदी के तट पर जिस स्थान पर एक रात्रि रुकी थी, वहीं विराट रामायण मन्दिर का निर्माण हो रहा है। अभी यह नदी विराट रामायण मन्दिर स्थल से पश्चिम बहती है।