बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल स्थित नावानगर प्रखंड के गिरधर बरांव गांव में स्व. गणेश साह के खेत में मिले पीले रंग के स्वर्ण धातु निर्मित तीन सिक्के को सीताराम उपाध्याय संग्रहालय, बक्सर में संरक्षित कर दिया गया है। पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पुरातत्व, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव व निदेशक दीपक आनंद ने तकनीकी दल के माध्यम से उक्त सभी सिक्के को बक्सर स्थित सीताराम संग्रहालय में संग्रहित कराया है।

अधिकारियों की मानें तो सभी तीनों सिक्के गुप्तकालीन शासकों द्वारा जारी किये गये स्वर्ण निर्मित सिक्के हैं। इसकी सूचना मिलते ही जिलाधिकारी एवं एसपी ने इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878 के सुसंगत प्रावधानों के आलोक में तत्परता दिखाते हुए थाना प्रभारी, सोनवर्षा ओपी के माध्यम से 20 मार्च को जब्त कर लिया था। बता दें कि उक्त तीनों सोने के सिक्के बीते 17 मार्च को गिरधर बरांव गांव की एक बुजुर्ग महिला अपने पशुओं को बांधने के लिए खेत में लगे बांस की खूंटी उखाड़ रही थी। 

खूंटी उखाड़ने के दौरान ही दो सिक्के मिले, जिसे महिला लेकर घर चली गई। सोने का सिक्का मिलने की सूचना मिलते ही गांव के लोग यहां पहुंचकर खुदाई करने लगे। कुछ लोगों भी सिक्के मिले। सभी सिक्के आज सीताराम उपाध्याय संग्राहय में संग्रहित कर दिए गए हैं। इन सोने के सिक्कों को कुछ दिन पहले बक्सर जिला प्रशासन द्वारा राज्य पुरातत्व को सौंप दिया गया था, जो संस्कृति विभाग का एक हिस्सा है, जिसने इसे बक्सर संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया।

ग्रामीणों ने घटना की जानकारी सोनबरसा पुलिस को दी। उन्होंने इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट, 1878 के अनुसारइसकी जांच की और इसे डुमरांव एसडीओ कुमार पंकज को सौंप दिया। राज्य पुरातत्व के निदेशक दीपक आनंद ने कहा, ‘घटना की जानकारी मिलने पर हमने चीजों को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजी। रविवार को बक्सर पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा टीम को सिक्के सौंपे गए। यह अब बक्सर के सीताराम मेमोरियल संग्रहालय में संग्रहीत हैं।’

अधिकारी ने बताया कि ये सोने के सिक्के गुप्त काल के माने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के सिक्के गुप्त शासकों द्वारा जारी किए गए थे। फिर भी, हम जल्द ही इन प्राचीन कालीन वस्तुओं का गहन अध्ययन करेंगे।’ डुमरांव के एसडीओ कुमार पंकज ने बताया कि करीब चार-पांच दिन बाद मामले की जानकारी राज्य पुरातत्व विभाग को दी गई।