डॉ राम मनोहर लोहिया आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में गांधी के 75वां शहादत दिवस पर दो मिनट का मौन सत्याग्रह, श्रद्धांजलि एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. लोहिया आश्रम में नागेंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई विचार गोष्ठी में दर्जनों वक्ताओं ने कहा कि फासिस्ट ताकतों द्वारा बार-बार मारने की कोशिश के बावजूद आखिर गांधी क्यों मरते नहीं ! वक्ताओं ने कहा कि गांधी मानव से महात्मा बनते हुए एक विचार में तब्दील हो चुके हैं.

उन्होंने कहा कि विचार गोलियों से मरते नहीं. कुछ सिरफिरे लोग गांधी के हत्यारे को महिमामंडित कर अपने ओछेपन को जहां-तहां प्रदर्शित करने से बाज नहीं आते. इसके बावजूद गांधी की दुनिया भर में स्वीकार्यता बढ़ती ही जा रही है. दुनिया के पैमाने पर अमन और शांति की बढ़ती जरूरत में गांधी इकलौता आशा की किरण दिखते है. भारत के लिए तो गांधी निर्विकल्प विचार हैं.

अध्यक्षीय संबोधन में नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधी साहित्य का प्रचार प्रसार, सात पापों से मुक्ति के गांधी के विचार, सत्याग्रह की तकनीक, गांव केंद्रित समाज व्यवस्था और मानव श्रम की प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए हम सबको कोशिश करनी चाहिए.विचार गोष्ठी के अंत में दो मिनट का मौन रखकर गांधीजी के प्रति श्रद्धांजलि दी गयी.

विचार गोष्ठी के बाद सहभागियों का पैदल मार्च गांधी चौक स्थित गांधी प्रतिमा स्थल तक हुआ. सब ने बारी-बारी से गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, फिर गांधी जी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेणे कहिए” और रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम” का गायन किया . महात्मा गांधी अमर रहे के नारे लगाए.

कार्यक्रम में विचार व्यक्त करने वालों में डॉक्टर ब्रजेश कुमार शर्मा, अरुण कुमार गोप, डा. रामा शंकर प्रसाद, भाई रघुनाथ, मनोज कुमार, तेज नारायण यादव, सुरेश लोहिया, डॉ शशि रंजन, प्रो. अमर सिंह, राम एकवाल साह, शशिधर शर्मा, अरुण कुमार श्रीवास्तव, शंकर बैठा, गौरी शंकर शास्त्री, कौशल किशोर सिंह, सुरेंद्र हाथी, अंजनी कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह, आनंद विहार, मदन कुमार सिंह, जय नारायण चौरसिया, शिव कुमार चौरसिया, विश्वनाथ प्रसाद शामिल थे.

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