बिहार में जारी शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद से ही सवाल उठ रहे हैं. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सरकार के द्वारा लागू शराबबंदी का विरोध कर चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तो इससे ड्रैकोनियन कानून तक कहा था. अब इस पर सवाल उठा रहे हैं बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राजद नेता उदय नारायण चौधरी. उन्होंने शराब बंदी कानून की आड़ में पासी और मुसहर समुदाय पर हो रहे अत्याचार का मामला उठाया है.

बिहार में शराबबंदी कानून पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद नेता उदय नारायण चौधरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि शराबबंदी कानून को लेकर जो सख्ती अपनाई जा रही है पूरी ताकत से उससे अच्छा मैसेज नहीं जा रहा है. पासी और मुसहर समुदाय के हजारों हजार लोग जेल गए, सब लोग प्रताड़ित हो रहे हैं. सब गरीब हैं और पिछड़े हैं. उनकी परेशानी को देखते हुए पासी और मुसहर समुदाय के लोगों में कैसे जागृति लाई जाए हमें इस पर बातचीत करनी चाहिए. सिर्फ डंडा चलाने से नहीं होगा. शराबबंदी कानून का हम लोगों ने समर्थन किया था. शराबबंदी कानून लागू करने के तौर तरीके और उसके जन-जागरण पर हम लोग बात करते हैं .

उदय नारायण चौधरी का कहना है कि सबों की सहमति से यह कानून लागू किया गया था और हर लोग चाहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून सफल हो लेकिन जिस तरह से इस कानून को सख्त कर दलितों पर अत्याचार हो रहा है उसे रोका जाए. उन्होंने कहा कि समाज सुधार के लिए और भी कई कानून बनाए गए हैं. दहेज हत्या, बाल विवाह जैसे कानून के लिए सरकार के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है, उसी तरह शराबबंदी कानून को सफल करने के लिए भी सरकार को जनजागृति अभियान चलाना चाहिए. दलित और खासकर मुसहर समाज में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

कानून को सख्त कर उन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें जागरूक करने की जरूरत है. उदय नारायण चौधरी ने महागठबंधन की सरकार को लंगड़ी सरकार कहा था और उसके बाद अब शराबबंदी पर भी उनके बयान सामने आने के बाद जदयू की ओर से भी उन्हें नसीहत दी गई है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि दलितों और मुसहर समाज में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कितना बदलाव आया है क्या यह उदय नारायण चौधरी को यह नहीं दिखता है. शराबबंदी कानून सबों की मर्जी से लागू की गई थी .

Input:- News 18