डाकघर के बचत खाते और विभिन्न बचत योजना में मैच्योरिटी होने के बाद तीन साल के अदंर खाताधारक ने राशि नहीं निकाली, तो उनका खाता स्वत: फ्रीज हो जायेगा. इसके बाद संबंधित डाकघर से भुगतान नहीं होगा, बल्कि मुख्यालय से आदेश लेना होगा और खाताधारकों को कई प्रक्रियाओं से गुजरना होगा.

डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नियम में यह बदलाव हाल ही में ऐसे कई खातों से किसी और के नाम पर चेक बना कर डाककर्मियों द्वारा ब्याज राशि निकालने की शिकायतें मिलने के बाद किया गया है. हाल ही में पटना जीपीओ में एक खाते की मैच्यूरिटी अवधि के बाद मिलने वाले ब्याज की राशि का चेक बनाकर कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से अपने चहेते एजेंट के नाम से जारी कर दिया.

मामला प्रकाश आने के बाद विभागीय स्तर पर जांच हुई. उसके बाद ऐसे खाते को लेकर विभाग सख्त हो गया है. सूत्रों के अनुसार हाल के वर्षों में इस तरह की लगातार शिकायत डाक विभाग को मिल रही थी. विभाग के अनुसार मैच्यूरिटी होने के बाद खाताधारकों को चेक के जरिये पेमेंट नहीं किया जायेगा, बल्कि मैच्योरिटी राशि का भुगतान खाताधारक के खाते में किया जायेगा.

इतना ही नहीं, मैच्योरिटी राशि खाताधारक के खाते में 24 घंटे के अंदर आ जायेगी. अधिकारियों ने बताया कि खाते फ्रीज होने का प्रावधान कुछ साल पहले लागू किया गया था, लेकिन उसे उतनी कड़ाई से लागू नहीं किया जा पा रहा था. इसका फायदा उठा कर डाकघर के कर्मचारियों द्वारा गलत तरीके से वर्षों से बंद साइलेंट खाते से राशि निकालने का मामला प्रकाश आ चुका है.

मैच्यूरिटी खाते में 1.62 लाख रुपये ब्याज राशि निकाल ली : पटना जीपीओ में मैच्योरिटी खाते में जमा ब्याज 1.62 लाख रुपये को चेक के जरिये निकालने का पिछले माह प्रकाश में आया था. मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर के एक खाताधारक के केवीपी खाते की मैच्योरिटी राशि का भुगतान तो कर दिया, लेकिन काउंटर क्लर्क अमित कुमार ने मैच्योरिटी राशि पर मिलने वाले ब्याज 1. 62 लाख रुपये को फर्जी तरीके से चेक बनाकर निकाल लिये.

इसका खुलासा एक कर्मचारी ने पटना जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर नरसिंह महतो से किया. इसके बाद मामले की जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर प्रणव मोहन को दिया गया. मिली जानकारी के अनुसार प्रणव मोहन ने अपनी जांच रिपोर्ट विभाग को नहीं सौंपी है. इस संबंध में जब चीफ पोस्टमास्टर से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि मैं अवकाश पर हूं. इसलिए मुझे खास जानकारी नहीं है.

सूत्रों की मानें, तो काउंटर क्लर्क अमित कुमार का तबादला हाल में ही दूसरे विभाग में कर दिया गया था, उसके बावजूद वर्तमान काउंटर क्लर्क के अवकाश पर जाने पर अमित कुमार अपनी ड्यूटी अधिकारी की मिलीभगत से केवीपी काउंटर पर करवा लेता था, क्योंकि उसके पास सिस्टम का आइडी है. इसके कारण इसकी ड्यूटी मिल जाती थी. इसके अलावा एक और कर्मचारी का भी नाम सामने आ रहा है.

INPUT : PRABHAT KHABAR