श्रावणी मेला 2022 : बाबा ने झारखंड की एक महिला की कोख भरी तो वह उस पुत्र को कंधे पर बैठाकर बाबाधाम जा रही है। ऐसे न जाने कितने भक्त हैं, जो कांवरियों की भीड़ में गुम रहते हैं। श्रावणी मेला में आशुतोष औघड़दानी के तमाम भक्त कामना ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने के लिए सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा का जल लेकर पैदल जाते हैं। सावन के प्रथम सप्ताह में धीमी गति से चल रही भीड़ की तुलना में अब कांवरियों का रेला बढ़ता जा रहा है।

कांवरियों की भोले भंडारी ने झोली भरी है या उन्हें अपने काज बनवाने हैं तो सब बाबाधाम दौड़े जा रहे हैं। झारखंड के धनबाद जिलांतर्गत गोविंदपुर की कांवरिया गीता देवी संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने के बाद अपने पुत्र को कंधे पर बैठाकर पैदल बाबाधाम जा रही हैं। वह बताती हैं कि शादी के बाद पांच वर्ष तक कोख नहीं भरने पर संतान प्राप्ति के लिए बाबा बैद्यनाथ की आराधना की। बाबा ने मनोकामना पूरी कर दी। बाबा का आभार जताने और उनका उपहार मुझे मिल गया है यह दिखाने के लिए पुत्र को कंधे पर बैठाकर पैदल जा रही हूं।

54 फीट की कांवर लेकर पटना सिटी के शिवभक्त हुए रवाना

संवाद सूत्र, बाथ (सुल्तानगंज)। श्रावणी मेले के 11वें दिन रविवार को पटना सिटी की श्रीश्री विशाल शिवधारी कांवरिया समिति करीब 300 कांवरियों के साथ 54 फीट की कांवर लेकर धांधी बेलारी पथ से गुजरे। इस कांवर को नौ कांवरियों ने कंधे पर उठाया था। समिति सदस्य विजय वर्मा बम, पप्पू मेहता बम, गुड्डू भांगड़ा बम, साधु बम, अजीत बम ने बताया कि 2007 से लगातार हम इसी तरह की कांवर बाबा को चढ़ाने जाते हैं। इसमें एक लाख 21 हजार रुपये की लागत आई है। इस कांवर पर बाबा के 12 ज्योतिर्लिंगों को स्थापित किया गया है। हमने वहां से निकलने से पहले इसे लेकर पटना सिटी का भ्रमण किया था।

उसके बाद रविवार की सुबह 6.00 बजे अजगवीनाथ मंदिर स्थित सीढ़ीघाट से 11 कलशों में जल भरकर नौ लोग उठाए हैं। इसमें सारे बम मिलकर कंधा बदलते रहेंगे लेकिन एक बार में नौ लोग ही उठाएंगे। उम्मीद है कि बाबाधाम बुधवार को पहुंच जाएंगे। 1998 से 2006 तक 11 सदस्यीय टीम डाक बम के रूप में बाबाधाम जाती थी। फिर निर्णय लिया कि बड़ी कांवर लेकर सभी कांवरियों के साथ बाबाधाम जाया करेंगे। वर्ष 2020-21 को छोड़ लगातार 14वें साल 300 कांवरियों के साथ बाबाधाम जा रहे हैं।