नालंदाः बिहार में अक्सर बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर दावे किए जाते हैं, लेकिन आज भी सरकारी अस्पतालों में कैसी व्यवस्था है नालंदा की घटना इसकी पोल खोल रही है. बुधवार को सदर अस्पताल में प्रसव पीड़ा से एक महिला तड़पती रही लेकिन यहां कोई देखने वाला नहीं था. परिजनों ने यहां तक कह दिया कि डॉक्टर की गैरमौजूदगी के कारण समय से ऑपरेशन नहीं हुआ. अधिक खून बहने से महिला की स्थिति बिगड़ने लगी तो निजी नर्सिंग होम में ले जाने की सलाह दे दी गई. 

पूरा मामला बिहारशरीफ सदर अस्पताल (Biharsharif Sadar Hospital) का है, जहां परवलपुर निवासी शुभम कुमार ने अपनी पत्नी को बुधवार दोपहर करीब दो बजे के आसपास लाया था. यहां आने के बाद महिला को नर्स द्वारा पानी चढ़ाया जाने लगा. धीरे-धीरे महिला की हालत बिगड़ने लगी. यह देख आशा कार्यकर्ताओं ने प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाने की सलाह दे दी. कहां जाना है इसका पता भी बताया. 

महिला के पति शुभम कुमार ने आर्थिक स्थिति का हवाला देकर यहीं इलाज कराने की बात कर ही रहा था तब तक महिला का काफी खून बह चुका था. हद तो तब हो गई जब सदर अस्पताल से एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई. अंततः परिजन महिला को टोटो से लेकर प्राइवेट क्लीनिक ले गए. बता दें कि सदर अस्पताल में इस प्रकार की घटना कोई नई नहीं है. अक्सर इस तरह की तस्वीर सामने आती रहती है. हाल ही में लापरवाही के कारण ही सिविल सर्जन का तबादला हो चुका है. सिविल सर्जन कार्यालय में कर्मचारियों द्वारा पैसे के लेन देन का वीडियो वायरल हुआ था जिसे एबीपी न्यूज ने प्रमुखता से दिखाया था. 

क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
इस पूरी घटना पर प्रभारी सिविल सर्जन विजय कुमार ने कहा कि हमने कल ही सिविल सर्जन का पदभार संभाला है. अभी मैं पूर्ण रूप से व्यवस्था को अपनी तरफ से नहीं देखा है. इस विषय पर ड्यूटी में तैनात लोगों से बात करूंगा. इलाज से संबंधित सदर अस्पताल की सभी चीजों पर उपाधीक्षक की जवाबदेही बनती है, बेहतर वही बता पाएंगे.