Site icon SITAMARHI LIVE

पटना स्टेशन के इस कुली को मिले हैं दो सरकारी बॉडीगार्ड, फिर भी सुरक्षा को लेकर जताया खतरा, जानें पूरा मामला

आनंद विहार आईएसबीटी पर गुरुवार को कुली की भूमिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर आने के बाद पूरे देश में कुली को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गयी. ऐसे में पटना स्टेशन पर बॉडीगार्ड के साथ चलनेवाले कुली धर्मा की चर्चा भी होने लगी है.

पटना जक्शन के किसी भी प्लेटफार्म नंबर पर आप धर्मा कुली को आसानी से पहचान सकते हैं. कुली धर्मा के साथ दो-दो हथियारबंद बॉडीगार्ड हमेशा रहते हैं. धर्मा कुली अपने माथे पर आपका सामान लेकर जब चलेगा तो उसके आगे पीछे हथियार से लैस दो-दो पुलिसकर्मी चलते दिखेंगे.

धर्मा देश के इकलौते कुली हैं जिन्हें सरकार ने हथियारबंद सुरक्षागार्ड मुहैया करा रखा है, इसके बावजूद धर्मा को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बरकरार हैं. दरअसल 27 अक्टूबर 2013 में पटना के गांधी मैदान में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सभा में बम विस्फोट हुए थे, लेकिन गांधी मैदान में बम विस्फोट होने के कुछ देर पहले पहला बम 27 अक्टूबर की सुबह करीब 9.30 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 10 पर फटा था.

इस विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. मौके पर मौजूद कुली धर्मा ने भागते हुए एक आतंकी इम्तियाज को दबोच लिया था. कमर में शक्तिशाली बम बांधे पकड़े गये उस आत्‍मघाती आतंकी से पूछताछ चल ही रही थी कि गांधी मैदान में बम विस्फोट शुरू हो गए.

इस घटना में धर्मा कुली एनआईए की ओर से चश्मदीद गवाह बना था और नौ आतंकी भी गिरफ्तार किए गए. घटना के बाद से धर्मा को बराबर आतंकियों से धमकी मिलती रही. धर्मा ने बताया कि उसे आतंकियों के सहयोगियों ने फोन पर 50 लाख रुपये देने की बात कही और बोला कि तुम गवाही मत दो, लेकिन धर्मा ने उस का ऑफर को ठुकरा दिया.

इसके बाद 2016 में रेलवे की ओर से जीआरपी के एक जवान को बॉडीगार्ड के रूप में दिया गया. इसी वर्ष राज्य सरकार ने भी धर्मा को एक और बिहार पुलिस को बॉडीगार्ड के रूप में दे दिया है. धर्मा के पास अब दो-दो बॉडीगार्ड है. इस संबंध में धर्मा का कहना है कि हमें सुरक्षाकर्मी तो मिले हुए हैं, लेकिन ये हमारे प्रतिदिन की 500 रुपये के करीब कमाई को प्रभावित कर रहे हैं.

हम सामान लेकर चलते हैं तो ये लोग आगे पीछे चलते हैं, लोग असहज हो जाते हैं. धर्मा ने कहा कि उनकी सुरक्षा का ये पुख्ता इंतेजाम भी नहीं है, क्योंकि उनके रहने की व्यवस्था नहीं है. धर्मा ने कहा कि वो एक आवास के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सुरक्षा कर्मी तो हैं, परंतु रहने का ठिकाना नहीं होने के कारण कितना सुरक्षित रह पाएंगे?

अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतिक धर्मा कहते हैं कि दिन में हम कुली विश्राम गृह में रहते हैं तो यह लोग मेरे साथ दोनों सुरक्षाकर्मी रहते हैं, लेकिन रात में रहने की व्यवस्था नहीं होने के कारण ये लोग अपने अपने घर चले जाते हैं. इस संबंध में डीआरएम को भी लिख कर दिए हैं.

देखते हैं वो क्या रास्ता निकालते हैं. इधर, धर्मा की सुरक्षा में तैनात जीआरपी के जवान अरुण ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि हमारे लिए यह ड्यूटी है और ड्यूटी करनी है. हालांकि बिहार सरकार की ओर से तैनात बॉडीगार्ड इस संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

INPUT : PRABHAT KHABAR

Exit mobile version