असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने मंगलवार को कहा कि उन्हें मुगलों पर गर्व है क्योंकि उन्होंने ‘हिंदुस्तान’ को आकार दिया। खालिक ने मुगलों पर गर्व जाह‍िर करते हुए कहा क‍ि उन्‍होंने छोटे राज्‍यों में बंटे भारत को हिंदुस्‍तान नाम दिया है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि मुझे मुगलों पर गर्व है। मैं मुगल नहीं हूं। लेकिन उनका वंशज हूं। सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आपको मुगलों से इतनी नफरत हैं तो लाल किले पर तिरंगा फहराना भी ठीक नहीं है। मुगलों ने भारत में लाल किला और ताजमहल जैसे स्मारकों का निर्माण किया था और इसलिए देश में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अब्दुल खालिक ने आगे कहा कि मुगलों का महत्व इस बात से पता चलता है कि देश का हर प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराता रहा है।



अब्दुल खालिक ने कहा कि मुगलों ने जरूर असम में अटैक किया था लेकिन तब हिंदुस्तान मुगलों के हिस्से में था। उन्होंने तब अलग राष्ट्र असम में हमला किया था। असम आज देश का हिस्सा है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा सीटों में से सात अहोम साम्राज्य का हिस्सा थीं, जबकि तीन उस समय कोच साम्राज्य थे। उन्होंने कहा कि सरायघाट की लड़ाई हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नहीं बल्कि हिंदुस्तान के राजा और अहोम वंश के बीच की लड़ाई थी।

नहीं है कोई आपराधिक केस
खालिक का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मुगल काल के कई स्थानों के नाम बदल दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद को आधिकारिक तौर पर 2018 में प्रयागराज नाम दिया गया था। इसके अलावा, मुगलसराय का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर कर दिया गया। खास बात है कि अब्दुल खालिक उन गिने-चुने सासंदों में से एक हैं जिनके खिलाफ कोई भी आपराधिक केस नहीं है।

डबल एमए हैं अब्दुल खालिक
अब्दुल खालिक मूलता बारपेटा के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम सोहराब अली था। अब्दुल खलीक का जन्म 1 फरवरी 1971 को हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा बार्टरी एलपी स्कूल से हुई और इंटरमीडिएट लंगला एचएस स्कूल से किया। इंटर के बाद उन्होंने बोंगाईगांव कॉलेज से स्नातक किया और फिर असमिया साहित्य में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एमए पूरा किया। उन्होंने दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय संबंधों में परास्नातक किया।

2011 में की शादी
अब्दुल खालिक की शादी 6 जून 2011 को कमलानी खलीक से हुई थी। उनके एक बेटा और एक बेटी है। वह दो बार विधायी निकाय के लिए चुने गए।उनकी राजनीति में रुचि कॉलेज के समय से ही रही। वह बोंगईगांव कॉलेज के पूर्व छात्र संघ में रहे। पहली बार वह 2006 विधायक बने। उन्होंने मोजिबोर रहमान खान को 92 मतों के अंतर से हराया था। 2012 में उन्होंने असम के मुख्यमंत्री के प्रेस सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2019 में बारपेटा लोकसभा क्षेत्र की सीट से चुनाव लड़ा और एजीपी के कुमार दीपक दास को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया।

बुलडोजर कार्रवाई को बताया था मानवाधिकारों का उल्लघंन
इसी साल मई में असम के नगांव में स्थानीय व्यक्ति की कथित तौर पर हिरासत में मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूटा था। उपद्रवियों ने ढिंग क्षेत्र में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। बाद में पुलिस ने कार्रवाई की और उपद्रव में शामिल लोगों के घर पर बुलडोजर चलाया गया था। बारपेटा के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने बुलडोजर चलाने का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि हमलावरों के घरों पर बुलडोजर चलाना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।



हिमंत बिस्व सरमा पर दर्ज कराई एफआईआर
कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक दिसंबर 2021 में अचानक चर्चा में आए। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ दिसपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने हिमंत बिस्व सरमा पर मुसलमानों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। यह एफआईआर कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई थी।

हिमंत बिस्व सरमा पर दर्ज कराई एफआईआर
कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक दिसंबर 2021 में अचानक चर्चा में आए। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ दिसपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने हिमंत बिस्व सरमा पर मुसलमानों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। यह एफआईआर कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई थी।



इतिहास पर अच्छी पकड़
2020 में कांग्रेस के एक विधायक शरमन अली अहमद ने असम सरकार को राज्य के चर-चापोरी यानी नदी के द्वीपों और तटवर्ती इलाकों में रहने वाले बंगाली मुसलमानों के लिए गुवाहाटी में प्रसिद्ध श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में म्यूजियम स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने विधायक की मांग को खारिज कर दिया। कहा कि राज्य के चर यानी तटवर्ती इलाके में रहने वालों की कोई अलग पहचान और संस्कृति नहीं है। तब अब्दुल खालिक ने कहा था, ‘माफ कीजिएगा हेमंत जी, इन लोगों के पूर्वज तत्कालीन बंगाल से आए थे, जो कि अखंड भारत का अहम हिस्सा था। कृपया सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ मत कीजिए।’ इसके बाद बीजेपी को झुकना पड़ा था।



साहित्य में इंट्रस्ट
अब्दुल खालिक कई किताबें लिख चुके हैं। उन्होंने असमिया भाषा में रस्त्राबाद और मुसलमान इत्यादी लिखी है। इसके अलावा उनका गंगादेवी बोडोर सैते कठोपकथन कविताओं का एक संग्रह भी पब्लिश हो चुका है। अब्दुल साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हैं। पिछले नौ वर्षों से पुस्तक मेले का आयोजन करते आ रहे हैं। वह वैज्ञानिक विकास में विश्वास रखते हैं।