सूत्रों के अनुसार, प्रचार सामग्री को लेकर अगर आयोग को थोड़ा भी शक हो कि इसमें एआई का गलत इस्तेमाल किया गया है तो उसकी मंजूरी नहीं दी जाएगी। राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों को…

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल की निगरानी चुनाव आयोग करेगा। आयोग चुनाव के दौरान एआई के गलत इस्तेमाल पर सख्त रुख अपनाएगा। अगर, कोई भी दल या उम्मीदवार एआई का गलत इस्तेमाल करता पाया जाएगा तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। आयोग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आरोपी व्यक्ति या दल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) एवं जन प्रतिनिधित्व कानून, 1950 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है। कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकता है।

राज्य एवं जिलास्तर पर एमसीएमसी कमेटी का गठन होगा

चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य और जिला स्तर पर प्रचार सामग्री की मंजूरी, निगरानी एवं कार्रवाई के लिए मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मॉनिटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में शामिल पदाधिकारियों द्वारा प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया की सतत निगरानी की जाएगी। यह एक अलग कोषांग के रूप में कार्य करेगा। इस कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) एवं चुनाव आयोग को नियमित रूप से दी जाएगी। आयोग के निर्देश पर राज्य में एमसीएमसी के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही इससे संबंधित निर्देश जारी किया जाएगा।
…तो प्रचार सामग्री को नहीं मिलेगी मंजूरी
सूत्रों के अनुसार, प्रचार सामग्री को लेकर अगर आयोग को थोड़ा भी शक हो कि इसमें एआई का गलत इस्तेमाल किया गया है तो उसकी मंजूरी नहीं दी जाएगी। राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों को भी किसी भी तरह से एआई के गलत इस्तेमाल नहीं करने के लिए जागरूक किया जाएगा। दुनियाभर के चुनावों में एआई के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग पहले से ही सतर्क है।