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बिहार में 2 नए फोरलेन हाइवे को मंजूरी, चुनाव होते ही केंद्र सरकार से आने लगीं परियोजनाएं

बिहार। में चुनाव खत्म होते ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य में दो नए फोरलेन हाइवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। खगड़िया से पूर्णिया और मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी होते हुए सोनबरसा तक फोर लेन बनाने का काम इसी साल शुरू हो जाएगा।

बिहार में विधानसभा चुनाव खत्म होने और आदर्श आचार संहिता हटते ही विकास कार्य शुरू हो गए हैं। चुनाव होते ही केंद्र सरकार ने बिहार को दो बड़ी सौगात दी है। राज्य की दो राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) परियोजनाओं की वित्तीय मंजूरी मिल गई है। अब इन दोनों फोरलेन हाइवे का टेंडर होते ही मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही इनका निर्माण शुरू करने का लक्ष्य है। जिन सड़कों को मंजूरी मिली है, उनमें खगड़िया-पूर्णिया और मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-सोनबरसा शामिल है। इन दोनों सड़कों की लंबाई 233 किलोमीटर है और इस पर लगभग 6 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

वित्तीय मंजूरी के बाद अब इन दोनों परियोजनाओं की अंतिम मंजूरी का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष जाएगा।

एनएचएआई अधिकारियों के के अनुसार, बिहार की दो सड़क परियोजनाओं खगड़िया-पूर्णिया और मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-सोनबरसा का निर्माण होना है। अभी दोनों सड़कें दो लेन की है। इसको 4 लेन किया जाना है।

सड़क का निर्माण करने के लिए निविदा जारी करने के पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित पीपीपीएसी (पब्लिक प्राईवेट पाटर्नरशिप एप्रेजल कमेटी) की मंजूरी जरूरी होती है। बिहार इन दोनों सड़कों की मंजूरी का प्रस्ताव पहले ही भेज चुका था। अब पीपीपीएसी ने इसकी मंजूरी दे दी है

इनके निर्माण की वित्तीय मंजूरी मिलते ही इसके टेंडर का रास्ता भी साफ हो गया। कमेटी ने खगड़िया-पूर्णिया को हैम (हाईब्रिड एन्यूटी मोड) में निर्माण की मंजूरी दी है। इस मोड में सड़क का निर्माण करने में खर्च होने वाली राशि का 60 फीसदी हिस्सा निर्माण एजेंसी को खर्च करना होगा। बाकी 40 फीसदी राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। सड़क निर्माण के बाद एजेंसी टोल टैक्स से अपनी लागत राशि की वसूली करेगी।

वहीं, सीतामढ़ी-सोनबरसा चार लेन सड़क बीओटी (बिल्ट एंड ऑपरेट) मोड में बनेगा। यानी इस सड़क के निर्माण में खर्च होने वाली पूरी राशि का वहन निर्माण एजेंसी को करना होगा। हालांकि केंद्र सरकार एजेंसी को सड़क निर्माण के दौरान वित्तीय सहायता देगी। एजेंसी अपनी लागत राशि की भरपाई टोल टैक्स से ही करेगी।

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