सीतामढ़ी। में बारिश और चक्रवाती तूफान मोंथा ने किसानों की स्थिति को संकट में डाल दिया है। किसान कीचड़ और पानी से भरे खेतों में धान की फसल समेटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जलजमाव और दलदल के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कृषि कार्यालय के…
सीतामढ़ी। बारिश और चक्रवाती तूफान मोंथा की मार ने जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है। भारी मन से किसान अब कीचड़ और पानी से भरे खेतों से किसी तरह धान की फसल समेटने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, खेतों में जलजमाव और मिट्टी के दलदल ने बेहद मुश्किल बना दिया है। खेतों में धान की फसल सड़ने लगी है। पानी तथा कीचड़ के बीच किसान अपनी मेहनत बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। चक्रवाती तूफान मोंथा ने उनकी साल भर की मेहनत को बहा दिया है। धान की बालियां लगातार नमी में रहने से सड़ने लगी हैं। जिन खेतों में कटाई हो चुकी है।
वहां भी भीगी फसल को सुखाने की जगह नहीं मिल पा रही। चारों ओर फैली नमी से फसल सड़ने लगी है जिससे किसानों के सामने नुकसान का खतरा और बढ़ गया है। जिले के पुपरी, बथनाहा, बेलसंड, सुप्पी, सुरसंड और रुन्नीसैदपुर के कई गांवों में हजारों हेक्टेयर खेतों में अभी भी पानी जमा है। कई किसानों ने बताया कि उन्हें मजबूरन अपने से कटाई करनी पड़ रही है। लेकिन कीचड़ और पानी के कारण यह भी कठिन हो गया है। कृषि कार्यालय के अनुसार जिले की 60 प्रतिशत से अधिक धान की फसल बारिश से प्रभावित हुई है। आने वाले दिनों में यह नुकसान और बढ़ सकता है। किसानों ने सरकार से तत्काल मुआवजा और सहायता की मांग की है। जिससे वे अगली बुवाई के लिए फिर से तैयार हो सकें।