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भारत-नेपाल बॉर्डर : सीमावर्ती क्षेत्र से पनप रहा तस्करी का धंधा, सख्ती के बाद भी हो रहा गलत काम

भारत-नेपाल बॉर्डर की खुली सीमा का लाभ उठाकर तस्कर अपने मंसूबों में कामयाब हो जा रहे हैं। सुरक्षा में लगी एजेंसियों को चुनौती देते हुए तस्करी मटर समेत अन्य जरूरी सामानों की तस्करी कर अपनी आमदनी बढ़ाने में जुटे हैं। सतर्कता के बाद भी तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही। बीते दिनों सिसवां कस्बे में मटर की बरामदगी होना और उसके बाद सिसवां चौकी प्रभारी समेत पुलिस कर्मियों के बीच कथित आडियो एवं वीडियो वायरल हो जाने के बाद त्वरित कार्रवाई होना, यह लोगों को सोचने पर विवश कर दे रहा हैं। लोगों ने पुलिस कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकी इस प्रकरण में अभी जांच हो रही है।

सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के साथ बॉर्डर पर कड़ी चौकसी का दावा करती रहती है। फिर भी बॉर्डर पर चौकसी के इस दावे को तस्कर लगातार चुनौती देकर युवाओं का फौज तैयार कर रखे हैं। सूत्र बताते हैं कि कैरियर विदेशी मटर को नेपाल से भारतीय सीमा क्षेत्र में लाते हैं। उसके बाद स्टोर कर आसपास के जिलों समेत अन्य प्रदेशों में भेजते हैं। तस्करों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र रेंगहिया, शितलापुर, मटरा, बहुआर, कनमिसवां तथा कोतवाली ठूठीबारी क्षेत्र के सड़कहवा, मरचहवा, राजाबारी, तड़हवा, लक्ष्मीपुर है।

इन जगहों से अधिक मात्रा में जब्त हुआ है विदेशी मटर
सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही के चलते नेपाल से तस्करी कर लाई गई विदेशी मटर को भारत नेपाल बॉर्डर से सटे रेंगहिया गांव में 14 अक्तूबर को छापा डालकर 790 बोरी, दो सितंबर को कोठीभार थाना क्षेत्र के सिसवां शहर स्थित एक गोदाम पर छापा डालकर 415 बोरी, 31 अगस्त को रेंगहिया गांव में छापा डालकर 852 बोरी, शितलापुर से 117 बोरी,11 अगस्त को रेंगहिया से 151 बोरी, आठ अगस्त को मटरा से 150 बोरी विदेशी मटर  बरामद कर जब्त की जा चुकी है।

सीमावर्ती गांवों में बने गोदामों में स्टोर करते हैं मटर

तस्करों ने भारतीय सीमा में स्थित गांवों में डंपिंग स्टेशन बना रखा है। सूत्रों के अनुसार, तस्कर नेपाल राष्ट्र से कैरियर के माध्यम से विदेशी मटर की तस्करी कर सीमावर्ती गांवों में स्टोर कर लेते हैं। उसके बाद में पिकअप से आसपास के जिले सहित प्रदेश के बाजारों में आसानी से विदेशी मटर की खेप को पहुंचाने में सफल हो जाते है।

महीने में 35 से 40 केस आना बयां करती हैं तस्करी की कहानी
सूत्र बताते हैं कि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश के चलते विदेशी मटर के तस्कर भारतवासियों की सेहत के साथ देश की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहे हैं। कोरोना के दौर में भारत-नेपाल बॉर्डर सील होने के बावजूद भी भारतीय क्षेत्र के कई जगहों से बड़ी मात्रा में विदेशी मटर की बड़ी खेप जब्त होना।  एक महीने में करीबन 35 से 40 केस कस्टम विभाग में दर्ज होना इस बात का साफ संकेत है कि तस्कर सक्रिय हैं।

पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने कहा कि पुलिस को सतर्क रहने का निर्देश है। सीमावर्ती क्षेत्र में विशेष नजर रखी जाती है। दायित्व के प्रति लापरवाही किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव कार्रवाई की जा रही है।

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