‘मिशन सुरक्षाग्रह: कोविड पर हल्ला बोल’ कार्यक्रम के तहत यूनिसेफ बिहार और पार्टनर एनजीओ बिहार सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला का होटल सी.टी.आर. में आयोजन किया गया। “कोविड – 19 एवं आपदाकाल में प्रभावी पत्रकारिता, बच्चों व महिलाओं के मुद्दे” विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन जिला सूचना एवं जन संपर्क पदाधिकारी परिमल कुमार, बी.एस.एस. सचिव विनोद कुमार, रिसोर्स पर्सन आनंद कुमार, सुमिता जायसवाल, यूनिसेफ के राज्य मीडिया सलाहकार अभिषेक आनंद, बी.ई.पी. से महेशकांत एवं मो. तैयब, प्रोजेक्ट टीम लीडर श्याम कुमार ने सामूहिक दीप प्रज्ज्वलन कर किया.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डी.पी.आर.ओ. ने कोरोना काल में अफवाहों को रोकने और टीकाकरण के लिए जागरूकता पैदा करने में पत्रकारों की भूमिका की सराहना की। बच्चों और महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की अपील करते हुए उन्होंने मीडियाकर्मियों से पूरी संवेदनशीलता बरतने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि कल जिले में टीकाकरण के लिए एक विशेष कैंप लगेगा जिससे जिला में पहले डोज के शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने की उम्मीद है। उन्होंने यूनिसेफ की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी कार्यशाला से पत्रकार बन्धुओं को कई नयी जानकारियाँ मिलती हैं। कस्बों और राजधानी से दूर के क्षेत्रों में ऐसे कार्यक्रमों को ज्यादा से ज्यादा पहुँचाने की आवश्यकता है।

तकनीकी सत्र की शुरुआत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं नेटवर्क ऑफ़ वीमेन इन मीडिया, इंडिया के बिहार चैप्टर की संस्थापक सदस्य सुमिता जायसवाल ने कोरोना काल और बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान प्रभावी न्यूज़ रिपोर्टिंग की चुनौतियों, जिम्मेदारियों के साथ-साथ संभावनाओं की चर्चा की। उन्होंने कोविड काल में फैली अफवाहों की चर्चा करते हुए मिसइनफार्मेशन और डिसइनफार्मेशन के फर्क, जेंडर न्यूट्रल रिपोर्ट राइटिंग, सही हेडलाइन का चयन आदि विषयों पर विस्तार से बताया।

मशहूर ब्लॉगर एवं लेखक आनंद कुमार ने मीडिया में नैतिकता के महत्व की चर्चा करते हुए यूनिसेफ और दूसरी संस्थाओं जैसे एनसीपीसीआर और सूचना एवं प्रसारण के मंत्रालय के दिशानिर्देशों की बात की। उन्होंने फैक्ट चेक से जुड़े विभिन्न पहलुओं, पीआईबी जैसी फैक्ट चेक करने वाली संस्थाओं की जानकारी के साथ महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े कानूनों जैसे पोक्सो और जेजे एक्ट की धाराओं के बारे में विस्तार से बताया।

तीसरे सत्र में यूनिसेफ के राज्य मीडिया सलाहकार अभिषेक आनंद ने आंकड़ों पर आधारित पत्रकारिता यानी डाटा जर्नलिज्म के बारे में विस्तार से चर्चा की। विश्वस्त स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों से जहां ख़बरों की विश्वसनीयता बढ़ती है, वहीं पाठकों को विषय की सटीक जानकारी मिलती है। सबसे बढ़कर, बच्चों एवं महिलाओं से जुड़े मुद्दों की एडवोकेसी करने में इससे काफ़ी मदद मिलती है।

प्रतिभागियों द्वारा हर सत्र के दौरान प्रश्नोत्तर के साथ साथ विचारों का आदान-प्रदान किया गया। पत्रकारों ने कोविड काल में पत्रकारिता से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किये। कार्यशाला में जिले के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन पोर्टल्स से जुड़े 60 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुए। बिहार सेवा समिति के श्याम कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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