जिले में गर्मी व तपीश का प्रभाव भू-जलस्तर पर पड़ने लगा है। पिछले दो माह में एक फीट चार इंच तक जलस्तर की कमी हुई है। वहीं अप्रैल महीने में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 6 फीट आठ इंच नीचे भूगर्भ जलस्तर पहुंच चुकी है।

जबकि अभी मई व जून माह के शुष्क मौसम का प्रकोप बाकी है। बताया गया है कि अप्रैल माह में जिले का औसत जलस्तर 13 से 14 फीट तक ही रहना चाहिए, जबकि इस बार औसत 21 फीट पहुंच चुका है। हालांकि जिले का भू-जलस्तर अभी भी अन्य जिलों से बेहतर है।

अभी जिले में सबसे नीचे जलस्तर परिहार प्रखंड का रिकॉर्ड 30 फीट 11 इंच पहुंच चुका है। इसके कारण अब साधारण चापाकल सूखने लगे है तो सभी स्थानों पर कम पानी दे रहे हैं। इतना ही नहीं सुबह के समय इन चपाकलों को पानी देकर शुरू करना पड़ रहा है।

वैसे, इंडिया मार्क टू व थ्री चापाकल पर इस जलस्तर का अभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। साधारण चापाकल 20 से 25 फीट तक ही कारगरः एक्सपर्ट : पीएचईडी विभाग के अधीक्षण पद से सेवा निवृत कालीका प्रसाद ने बताया कि साधारण चापाकल 20 फीट के वाटर टेबुल के बाद बैक मारना शुरू कर देता है, वहीं 25 फीट तक पहुंच कर पानी बंद कर देता है, वहीं स्पेशल चापाकल की क्षमता महज 35 से अधिकतम 40 फीट तक है।

इंडिया मार्क चापाकल की क्षमता 60 फीट तक है। जबकि जिले का वाटर टेबुल नीचे पहुंच रहा है, ऐसे में परेशानी बढ़ना स्वभाविक है। चापाकल सूखेंगे तथा कम पानी देंगे। जिले का औसत भूगर्भ जलस्तर वर्तमान में 21 फीट है, जबकि परिहार का भूगर्भ जलस्तर 30 फीट 11 इंच पर पहुंच चुका है, वहीं जलस्तर को लेकर बथनाहा, बाजपट्टी, परसौनी, बैरगनिया, रीगा की स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है।

इन सभी स्थानों का जलस्तर 20 फीट से नीचे है, जिसके कारण इन प्रखंडों के चापाकल प्रभावित होने लगे हैं। वहीं सबसे उपर जलस्तर रुन्नीसैदपुर का अब तक 17 फीट है। पिछले वर्ष 15 अप्रैल महीने में जिले का औसत जलस्तर मात्र 14 फीट छह इंच था। जलस्तर के नीचे गिरने से साधारण चापाकल सूखने लगे हैं।

विभाग सभी स्थानों के भू-जलस्तर पर नजर बनायी हुई है। परिहार सहित सभी चिन्हित प्रखंडों में वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी है। इसके लिए प्रखंडवार व जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है। – राजेश कुमार रोशन, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, सीतामढ़ी।

जलस्तर गिरने से नगर से लेकर गांवों तक लोग परेशान होने लगे हैं। सबसे अधिक परेशानी परिहार में बढ़ी हुई है। यहां सबसे अधिक चापाकल सूख रहे हैं। नगर के नाहर चौक निवासी आलोक कुमार ने बताया कि अब सुबह में हमें पानी देकर चापाकल चलाना पड़ता है, तब जाकर मोटर से भी पानी टंकी में लोड होता है।

परिहार की मालती देवी ने बताया कि पानी की परेशानी बढ़ गई है। आसपास के अधिकतर चापाकल सूख चुके हैं। सुबह के समय पानी देकर चापाकल चालू करके पानी भर रहे हैं। चापाकल भी पहले से कम पानी दे रहा है। दोपहर में तो चपाकलों से पानी आता ही नहीं है।

INPUT : BHASKAR