निबंधन नियमावली में किए गए संशोधन से जमीन की खरीद बिक्री की रफ्तार कम हो गई है। इस नए नियम से सरकार के राजस्व में भी अप्रत्याशित कमी हुई है। वहीं जमीन की खरीद बिक्री करने वालों की परेशानी बढ़ गई है। लोग निबंधन कार्यालय और अंचल कार्यालय में दौड़ लगाने को मजबूर हैं।

जमाबंदी जिसके नाम पर है वे ही रजिस्ट्री कर सकते हैं। लेकिन नए नियम के तहत अब पावर ऑफ अटॉर्नी वाले भी जमीन बेच सकते हैं। मधेपुरा निबंधन कार्यालय के अवर निबंधक डॉ. यशपाल ने बताया कि नए नियम की वजह से जमीन के रजिस्ट्री में कमी आई है।

अब जिसके नाम की जमाबंदी होगी वहीं जमीन को बेच सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहले जहां 50 से 60 जमीन की रजिस्ट्री होती थी। वहीं अब 15 से 20 जमीन की ही रजिस्ट्री हो रही है। नए नियम से भूमि विवाद में आएगी कमी नए नियम के लागू होने के बाद अब जिस जमीन की जमाबंदी जिनके नाम पर रहेगी केवल वे ही उस जमीन की बिक्री कर सकते हैं।

नए नियम लागू होने से अब उस जमीन की बिक्री दूसरे लोग नहीं करेंगे, ऐसे में भूमि से संबंधित विवाद में कमी आने की संभावना है। यही नहीं अब जमीन रजिस्ट्री के पहले उससे संबंधित सभी कागजात सही किए जाएंगे। इससे आने वाले भविष्य के भूमि विवाद में कमी आने की उम्मीद है।

अब पैतृक जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए बंटवारा अनिवार्य हो गया है। जमीन बेचने के लिए जमाबंदी में नाम दर्ज कराना होगा। जमीन की खरीद बिक्री को लेकर लागू किए गए नए नियम को लेकर निबंधन कार्यालय के अवर निबंधक डॉ. यशपाल ने बताया कि विदेश में रहने वाले एनआरआई के द्वारा जारी किया गया पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर जमीन बिक्री की जा सकती है।

इसके अलावे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति के द्वारा दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर जमीन की बिक्री हो सकती है। नए नियम के लागू होने से जमीन की रजिस्ट्री में कमी आई है। नए नियम लागू होने के बाद जमीन की खरीद बिक्री में फर्जीवाड़ा रूकेगी। रजिस्ट्री की संख्या में कमी आई है।

INPUT : JAGRAN