सनातन धर्म में चैती छठ का विशेष महत्व है। साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के को छठ पर्व मनाने की परंपरा है। आमतौर पर कार्तिक मास की छठ का अधिक महत्व है।
लेकिन इस छठ को भी लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इस व्रत का आरंभ नहाय खाय के साथ होता है और लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। आइए जानते हैं चैती छठ का महत्व और तिथियां…
चैती छठ 2024 की तारीख
पंचांग के अनुसार, चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाएगा। जिसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होगी।
12 अप्रैल 2024, शुक्रवार- नहाय-खाय
13 अप्रैल 2024 शनिवार – खरना
14 अप्रैल 2024, रविवार – संध्या अर्घ्य
15 अप्रैल 2024, सोमवार- प्रातः: अर्घ्य और पारण
नहाय खाय
चैत्र मास की चतुर्थी तिथि से चैती छठ का आरंभ हो जाता है जिसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन महिलाएं स्नान आदि करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती है। इस दिन शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं।
खरना
चैती छठ का दूसरा दिन खरना को कहते हैं। इस दिन से महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इसके साथ ही भगवान सूर्य को भोग लगाने के लिए प्रसाद तैयार करती है। इसके साथ ही शाम के समय पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर, ठेकुआ आदि बनाते हैं। इसके लिए नए चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं। इस दिन सूर्य देव को भोग लगाने के साथ अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व के तीसरे दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की विधान है। डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल और दूध का इस्तेमाल करते हैं।
उगते हुए सूर्य को अर्घ्य
इस दिन सूर्योदय के समय महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती है। इसके साथ ही इस दिन अपने व्रत का पारण करती है।
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INPUT : JANSATTA