छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार छठ पूजा 10 नवंबर (बुधवार) को है. छठ पूजा का प्रारंभ दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, फिर पंचमी को लोहंडा और खरना होता है. उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत पूरा किया जाता है. तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है. इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं. यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है. छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.

इस त्योहर को बिहार के साथ पूर्वोत्तर राज्य में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है. बिहार में छठ मैया की पूजा का माहौल ही कुछ अलग होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार में ऐसे कई जगह है जहां की छठ पूजा का हर कोई दिवाना है. बिहार में इन 5 जगहों पर छठ पूजा का नजारा देखने के लिए देश के अन्य हिस्सों के लोग भी पहुंचते हैं. आइए बताते हैं कौन सी है वो जगहें.

कालीघाट, पटना
बिहार की राजधानी पटना में कई जगह छठ पूजा की रौनक देखने को मिलती है लेकिन पटना शहर के कालीघाट पर छठ पूजा में कई लाख भक्त छठ मैया के दर्शन करने पहुंचते हैं. इस घाट में श्रद्धालु छठ भगवान सूर्य की उपासना करते हैं और देखने लायक नजारा होता है. गंगा घाट प्रार्थना मैदान में बदल जाता है.

सीतामढ़ी, लक्ष्मणा घाट, बाय पास पुल , मेहसौल पुल

देओ, औरंगाबाद
देओ में भगवान सूर्य देव का प्रसिद्ध मंदिर है. छठ पूजा के दौरान यहां जमकर लोग इकट्ठा होते हैं और तीन दिन तक यहां छठ का त्योहार मनाते हैं. यहां काफी दूर-दूर से लोग आते हैं.

कष्टहरणी घाट, मुंगेर
कष्टहरणी घाट का उल्लेख वाल्मीकि की रामयण में भी मिलता है. कहा जाता है कि जब भगवान राम सीता के साथ विवाह करके मिथिला से अयोध्या वापस लौट रहे थे तब उनके बहुत से साथी इस कष्टहरणी घाट पर स्नान करने के लिए रुके थे. इस घाट पर छठ पूजन का उत्सव जोर शोर से मनाया जाता है. छठ पर्व के दौरान इस घाट पर काफी संख्या में भक्त डूबकी लगाते हैं और सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हैं.

कौन्हारा घाट, हाजीपुर
पटना से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हाजीपुर में छठ का त्योहार काफी अच्छे तरह से मनाया जाता है. इस घाट का नाम एक पुरानी कहानी के अनुसार पड़ा. कहा जाता है कि जब गज (हाथी) और ग्राह (मगरमच्छ) के बीच एक लड़ाई हुई जिसमें अपने भक्त गजराज को बचाने के लिए भगवान विष्णु को मध्यस्थता करनी पड़ी. इस सांस्कृतिक कहानी के नाम पर ही इसका नाम रखा कि कौन्हारा (कौन हारा). इस स्थान का पारंमपरिक और सांस्कृतिक महत्व है. इस घाट पर छठ का त्योहार खूब धूमधाम से मनाया जाता है. कौन्हारा घाट के तट रंगीन रोशनी से नहाया रहता है और यहां काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं.

रानी घाट, बक्सर
बिहार का बक्सर जिला ‘बक्सर की लड़ाई’ के लिए जाना जाता है. पटना से 130 किलोमीटर दूर बक्सर में छठ पर्व के समय काफी लोग आते हैं. छठ में जिले में काफी रौनक रहती 

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