जिलों में अपना टर्म पूरा कर चुके सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के तबादले का आदेश दस दिनों में जारी करने के फरमान के बाद डीजीपी एसके सिंघल द्वारा एक बार फिर इसको लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। अधिकारियों को तबादले के दौरान कई बिंदुओं का पालन करने को कहा गया है। इसमें प्रमुख रूप से गृह जिलों में किसी भी सूरत में तबादला नहीं करने का आदेश दिया गया है।

डीजीपी एसके सिंघल ने 27 नवंबर को जिला अवधि पूरी कर चुके पुलिसकर्मियों के तबादले को लेकर आदेश जारी किया था। उन्होंने दस दिनों में तबादले का आदेश जारी करने और पंचायत चुनाव पर पुलिसकर्मियों को स्थानांतरित जगह के लिए विरमित करने को भी कहा है। साथ ही रेंज में आठ और दस वर्ष से अधिक समय से पदस्थापित पुलिसकर्मियों की अलग-अलग सूची भी मांगी गई है। 

इस आदेश के दो दिनों बाद उन्होंने इस बाबत एक नया आदेश जारी किया है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी पदाधिकारी या कर्मी की तैनाती गृह जिले में नहीं की जाएगी। जिस जिले में कोई पदाधिकारी या कर्मी पहले कार्य कर चुके हैं दोबारा उन्हें उस जिले में पदस्थापित नहीं किया जाएगा। चाहे उनका कार्यकाल उक्त जिले में कितना भी छोटा क्यों न रहा हो। 

डीजीपी द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत अवधि की गणना समेकित होगी। यदि किसी एक ही जिले में कोई पुलिसकर्मी दो या अधिक कार्यकालों में कार्य कर चुका है तो सभी कार्यकालों को मिलाकर अवधि की गणना की जाएगी। इसी तरह किसी पुलिसकर्मी ने अलग-अलग रैंक जैसे सिपाही, एएसआई, एसआई और इंस्पेक्टर में किसी जिले में कार्य किया है तो सभी कोटियों में बिताए गए समय को मिलाकर जिला व रेंज टर्म को गिना जाएगा। इसके अलावा तत्कालीन जोन या वर्तमान रेंज में पदस्थापित पुलिस अफसर या जवान की तैनाती अवधि की गणना उनके मुख्यालय जिले के पदस्थापन समरूप मानकर की जाएगी। 

पुलिस मेंस एसोसिएशन ने किया विरोध

सिपाही-हवलदार का प्रतिनिधित्व करनेवाले बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन ने डीजीपी द्वारा तबादले को लेकर दिए गए आदेश पर आपत्ति जताई है। एसोसिएशन का दावा है कि इस आदेश से पुलिसकर्मियों में काफी आक्रोश व्याप्त है। एसोसिएशन का कहना है कि मुख्यालय द्वारा नियम 315 के तहत स्थानांतरण हेतु मापदंड निर्धारित है जिसे सरकार से अनुमोदित कराने के बाद लागू किया गया है।

इस नीति के तहत रेंज आईजी-डीआईजी द्वारा स्थानांतरण भी किया गया है और तबादले को लेकर स्वेच्छा भी मांगा गया था। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी स्वेच्छा पत्र समर्पित कर चुके हैं और उसी के अनुसार तबादले की उम्मीद लगाए बैठे थे। पर इससे इतर नया फरमान जारी कर दिया गया है। यह पूर्व में जारी मापदंडों के प्रतिकूल नहीं है। पुलिस मेंस एसोसिएशन की केंद्रीय कमेटी इसका विरोध करेगी और जरूरत पड़ने पर उच्च न्यायालय में रिट भी दायर किया जाएगा।