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बिहार में छर्री-बालू, छड़ व सीमेंट की कीमत तेजी से बढ़े, घर मकान का काम शुरू करने से पहले जान लें ये रेट

सरकार एक तरफ सब को आवास देने की घोषणा करती है, वहीं दूसरी तरफ निर्माण सामग्री के दाम कंट्रोल नहीं कर पा रही है. ज्यों-ज्यों निर्माण कार्य में तेजी आ रही है, त्यों-त्यों महंगाई बढ़ती जा रही है. 20 दिन में सभी तरह के निर्माण सामग्री छर्री-बालू, छड़ व सीमेंट की कीमत 30 फीसदी बढ़ गयी, तो एक साल में 40 फीसदी निर्माण सामग्री की कीमतों में उछाल है.

यूक्रेन व रूस विवाद से महंगाई बम फटा

यूक्रेन व रूस विवाद से भागलपुर समेत अन्य जिलों में महंगाई बम फट गया. पहले खाद्यान्न, फिर पेट्रोल-डीजल और अब निर्माण सामग्री की कीमत पर इसका असर दिखने लगा है. आम लोगों को अपना मकान सपना लगने लगा है.

कोविड के बाद सुरक्षित घर का सपना नहीं हो रहा साकार

क्रेडाई के प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने बताया कि कोविड काल के बाद आम जनता खुद को सुरक्षित रखने और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करने के लिए अपने घर की आवश्यकता महसूस कर रहे थे. ऐसे में अपना मकान बनाने के साथ-साथ फ्लैट की बुकिंग में तेजी आयी थी. डेढ़गुनी कीमत बढ़ने से लोगों का सपना पूरा होना मुश्किल लगने लगा है.

पर्यावरण संबंधी नियम में सख्ती व घाट बंदोबस्ती ने बढ़ायी छर्री व बालू की कीमत

बिल्डर सह निर्माण सामग्री कारोबारी अनिल खेतान ने बताया कि घाट बंदोबस्ती, पर्यावरण संबंधी नियम में सख्ती व ओवरलोडिंग पर अंकुश लगने के बाद बालू व छर्री की कीमत बढ़ गयी है. छड़ तैयार करने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, वह चाइना से आयात होता है. अभी आयात रुक गया है. ऐसे में छड़ की कीमत बढ़ गयी है. पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ने से माल ढुलाई खर्च से लेकर उत्पादन खर्च भी बढ़ गये हैं. महंगाई बढ़ने का यह भी एक कारण है.

बिल्डरों के प्रोजेक्ट में होगी देरी

क्रेडाई के उपाध्यक्ष ने कहा कि सरकार अगर शीघ्र इस मामले में कदम नहीं उठाती है, तो बिल्डर फ्लैट की कीमत बढ़ाने को मजबूर हो जायेंगे. कई बिल्डरों ने निर्माण की गति कम कर दी है, जिससे प्रोजेक्ट में देरी होगी तथा कानूनी पचड़ा बढ़ेगा. सरकार को स्टील पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम कर कीमतों को कम करने का प्रयास करना चाहिए. कीमत स्थिर होने तक स्टील के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना होगा.

सीमेंट व छड़ पर जीएसटी

सीमेंट पर 28 प्रतिशत जीएसटी तथा छड़ पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू है जबकि यह दोनों उत्पाद विलास नहीं, बल्कि आमजन की आवश्यकता में उपभोग की वस्तुएं हैं. इस पर जीएसटी कम करना चाहिए. रंजना इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोपराइटर हर्ष अग्रवाल ने बताया कि पहले प्रति माह सभी कंपनी का सीमेंट 80 हजार मीट्रिक टन बिक्री होती थी, तो कंपनी की ओर से 90 हजार मीट्रिक टन भेजा जाता था. अब 80 हजार टन ही भेजा जा रहा है.

भागलपुर में निर्माण सामग्री का रेट

निर्माण सामग्री – मार्च 2021- मार्च 2022

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