कालाजार के उपचार में प्रयुक्त होने वाली एम्बीजोम इंजेक्शन के उचित प्रबंधन और उपचार में दक्षता को बढ़ाने के लिए सीतामढ़ी में प्रशिक्षु नर्सों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में नर्सिंग की फाइनल ईयर की छात्राओं को भी शामिल किया गया था, ताकि भविष्य में भी यह उनके काम आए।

प्रशिक्षण में बताया गया कि संक्रमण मुक्त सुई के साथ दवाओं के मिश्रण का सही अनुपात प्रमुख है। प्रशिक्षण में जिला वेक्टर बार्न रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. रविंद्र कुमार यादव ने बताया कि चूंकि इस सुई की दवा दो- तीन तरह के मिश्रण से तैयार होती है इसलिए इसके अनुपात का खास ध्यान रखना पड़ता है।

इस सुई के प्रत्येक वाइल के साथ एक फिल्टर का प्रयोग किया जाता है। ताकि दवा का मिश्रण पूरी तरह शुद्ध हो। इसके अलावा दवाओं का प्रबंधन भी बहुत जरूरी होता है। इसमें कुछ खास बातों का ख्याल रखना होता है, जैसे तापमान का दो से आठ डिग्री के बीच होना और दवाओं का सीधे धूप के संपर्क से बचाकर रखना। इसलिए इसके लिए आइस लाइन रेफ्रिजरेटर का उपयोग होता है। कालाजार के लिए प्रयुक्त होने वाली सुई हमेशा टेस्ट डोज के बाद ही दी जाती है।

अब एक सुई से कालाजार से मुक्ति

जिला वेक्टर बार्न रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा.रविन्द्र कुमार यादव ने कहा कि अब एक सुई से कालाजार से छुटकारा मिल जाता है। जिसका नाम एम्बीजोम है। यह दवा बहुत ही महंगी है जो सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलती है। इस एक सुई से तीन दिन के अंदर कालाजार का बुखार खत्म हो जाता है।

वहीं दो से तीन दिन के अंदर इसके 97 प्रतिशत परजीवी भी नष्ट हो जाते हैं। वहीं पीकेडीएल के लिए मिल्टेफोसीन नामक दवा का उपयोग किया जाता, जो 84 दिनों तक लिया जाता है। कालाजार के लिए दी जाने वाली सुई सदर अस्पताल सीतामढ़ी, सीएचसी सुरसंड और पुपरी में उपलब्ध है। वहीं पीकेडीएल की दवा सभी पीएचसी में उपलब्ध है।

एक्टिव सर्विलांस कालाजार मुक्त जिला का राज

डा. रविंद्र ने कहा कि जिले में एक भी मरीज मिलने पर हम उसकी तुरंत निगरानी और उपचार करने में जुट जाते हैं। जैसे हीं एक मरीज की जानकारी मिलती है उसी दिन उसकी जांच कर कालाजार के लिए सिंगल डोज सुई लगा दी जाती है। साथ ही उसके घर के पांच सौ मीटर के आस-पास एसपी पाउडर का छिड़काव भी किया जाता है। यही वजह है सीतामढ़ी कालाजार मुक्त जिला के रूप में उभरा है।

INPUT : JAGRAN