बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है। रविवार को सीएम नीतीश के साथ 8 मंत्रियों ने शपथ ली। जिसमें बीजेपी के 3, जेडीयू-3 , हम-1 और निर्दलीय विधायक शामिल हैं। दो उप मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, विजय कुमार चौधरी (जदयू), बिजेंद्र प्रसाद यादव (जदयू), डॉ. प्रेम कुमार (भाजपा), श्रवण कुमार (जदयू), संतोष कुमार सुमन (हम), सुमित कुमार सिंह (निर्दलीय) समेत आठ मंत्रियों ने शपथ ली। नीतीश के इन नए मंत्रियों में कोई बैंकर रह चुका है, तो कोई इतिहास में पीएचडी। यहां हम आपको बताएंगे नीतीश के नए 8 मंत्रियों का पूरा प्रोफाइल।

सम्राट चौधरी (डिप्टी सीएम ) 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे सम्राट चौधरी अभी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। मार्च 2023 में उन्हें इस पद की जिम्मेवारी मिली। अब वे राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करेंगे।राजनीतिक पारी वर्ष 1990 में राजद से राजनीति की शुरुआत करने वाले सम्राट चौधरी जदयू में रहे। वर्ष 1995 में एक राजनीतिक केस में वे 89 दिनों तक जेल में बंद रहे। वर्ष 1999 में कृषि मंत्री के तौर पर काम किया। 2000 में वे परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। वर्ष 2010 में विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बने। इसके बाद वे जदयू में आए। दो जून 2014 से 20 फरवरी 2015 तक नगर विकास मंत्री रहे। इसके बाद वे हम में भी रहे। भाजपा में आने के बाद वर्ष 2018 में उपाध्यक्ष के तौर पर काम किया। वर्ष 2020 में भाजपा सरकार में पंचायती राज मंत्री बने। अगस्त 2022 में उन्होंने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर काम किया। मार्च 2023 में वे बिहार भाजपा के अध्यक्ष बने। अब इन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।

विजय कुमार सिन्हा (डिप्टी सीएम)

विजय कुमार सिन्हा छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता तथा कर्मठ नेता के रूप में इनकी पहचान रही है। वर्ष 2017 में पहली बार मंत्री श्रम मंत्री बने। वर्ष 2020 में विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष बने। अगस्त 2022 में भाजपा जब विपक्ष में आई तो वे नेता प्रतिपक्ष बने। अब वे उपमुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे।

ये साल 1980 में बाढ़ में पार्टी कार्यकर्ता के रूप में भाजपा से जुड़े। पटना महानगर भाजपा में कई पदों पर रहे। लखीसराय भाजपा के सचिव रहे। भाजयुमो के प्रदेश संगठन प्रभारी, बिहार भाजपा में क्षेत्रीय प्रभारी व प्रवक्ता रहे। वर्ष 2003 में मुंगेर स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधान परिषद का चुनाव लड़ा। वर्ष 2005 में पहली बार विधायक बने। वर्ष 2020 में विजय कुमार सिन्हा लगातार पांचवीं बार भाजपा के टिकट पर बिहार विधानसभा के सदस्य बने।

विजय कुमार चौधरी (मंत्री)

विजय कुमार चौधरी ने जदयू कोटे से शपथ ली। अभी वे वित्त एवं वाणिज्य कर, संसदीय मामलों के मंत्री थे। इससे पहले वे शिक्षा मंत्री, कृषि एवं पशु मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, गामीण विकास, ग्रामीण कार्य, सूचना और जनसंपर्क मंत्री भी रह चुके हैं। एक बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। विजय चौधरी का जन्म 8 जनवरी 1957 को हुआ। 1982 में वे पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विस चुनाव जीते। उसके बाद 1985, 1990 में यही से विधायक बने। 2010 से अब तक तीन चुनाव जीतकर विस में सरायरंजन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अपने पिता के निधन के बाद हुए विस उपचुनाव में पहली बार विधायक बने थे। उनके पिता जगदीश प्रसाद चौधरी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। केवटा समस्तीपुर के दलसिंह सराय के निवासी हैं। 2005 में वे जदयू में शामिल हुए। 66 वर्षीय विजय चौधरी ने पटना विवि से इतिहास में एमए किया है। एसबीआई में पीओ के पद पर भी काम किया।

बिजेंद्र प्रसाद यादव (मंत्री)

बिजेंद्र प्रसाद यादव वर्ष 2005 से लगातार मंत्री हैं। एनडीए की सरकार हो या महागठबंधन की, हर बार उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। वह लगातार कई सालों से ऊर्जा विभाग संभाल रहे हैं। उनके ऊर्जा मंत्री रहते ही बिहार के हर घर में बिजली का अभियान चला और यह सफल भी रहा। हालांकि,बिजेंद्र प्रसाद यादव वर्ष 2005 के पहले वह मंत्री रहे हैं। सबसे अधिक उम्र के हैं मंत्री मंत्री बनने वालों में वह सबसे अधिक उम्र के (77 वर्ष) हैं। बिजेंद्र प्रसाद यादव अपने सुपौल विधानसभा क्षेत्र में खासकर काफी लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि वह आठवीं बार विधायक बने हैं। अभी वह ऊर्जा के अलावे योजना एवं विकास विभाग के भी मंत्रा का पद भी संभाल रहे थे। वह सुपौल के मुरली के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम स्व सुखराम यादव है, जो मुखिया थे। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने विज्ञान में स्नातक की है।

श्रवण कुमार (मंत्री)

श्रवण कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और उनके सहयोगी रहे हैं। 66 वर्षीय श्रवण कुमार नालंदा से विधायक और जदयू के वरिष्ठ नेताओं में एक हैं। उनके पिता किसान थे, जिनका नाम स्व हरि प्रसाद सिंह है। वह नालंदा के ही वेन के रहने वाले हैं। वह छठी बार मंत्री बने हैं। कई वर्षों से ग्रामीण विकास विभाग संभाल रहे श्रवण कुमार पिछले कई वर्षों से ग्रामीण विकास विभाग संभाल रहे थे। साथ ही संसदीय कार्य विभाग के भी वह मंत्री रहे हैं। राजनीतिक कैरियर जेपी आंदोलन से शुरू हुआ था। पूर्व केंद्रीय मंत्री जार्ज फर्नांडिस के भी श्रवण कुमार सहयोगी रहे हैं। उन्होंने बिहार विधानसभा में जदयू के मुख्य सचेतक का लंबे समय तक जिम्मेदारी संभाली है। विधायी कार्यों के भी वह जानकार हैं। श्रवण कुमार सातवीं बार विधायक बने हैं। उनका विधानसभा क्षेत्र नालंदा है। उन्होंने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की है।

डॉ. प्रेम कुमार (मंत्री)

प्रेम कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। लगातार आठ बार से गया शहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1990 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद से लगातार इसी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आए हैं। वर्तमान में 69 वर्ष के हैं। उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए करने के बाद पीएचडी की डिग्री ली। वे अति-पिछड़ा वर्ग में शामिल कहार जाति से ताल्लुक रखते हैं। वर्ष 2005 में एनडीए की सरकार में पहली बार पीएचईडी मंत्री बने थे। इसके बाद अलग-अलग कार्यकाल में उन्होंने कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2008 में ग्रामीण कार्य विभाग, वर्ष 2010 में नगर विकास एवं आवास विभाग, वर्ष 2017 में कृषि मंत्री और वर्ष 2019 में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बने। वर्ष 2015 में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूटने के बाद प्रेम कुमार को भाजपा ने बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया था।

संतोष कुमार सुमन (मंत्री)

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है। संतोष सुमन पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे हैं। हम कोटे से उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है। पहली बार वे वर्ष 2020 फिर 2022 में मंत्री बने। वर्तमान में वर्ष 2018 से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। इससे पहले वे नीतीश सरकार में ही लघु सिंचाई व अनुसूचति जाति-जनजाति कल्याण मंत्री रहे। जून 2023 में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के एनडीए में शामिल होने पर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। वे गया जिले के महकार के रहने वाले हैं। वर्ष 2018 में पहली बार विधान पार्षद बने। 10 फरवरी 1975 को गया में जन्मे 48 वर्षीय संतोष को मगध विश्वविद्यालय बोधगया ने वर्ष 2003 में पीएचडी की उपाधि प्रदान की। इससे पहले वर्ष 1998 में दिल्ली विश्वविद्यालय से 1998 में स्नातक और वर्ष 2001 में दिल्ली विश्वविद्यालय (नॉर्थ कैंपस) से स्नातकोत्तर किया।

सुमित कुमार सिंह (मंत्री)

सुमित कुमार सिंह चकाई विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं। क्षेत्र के लोग उन्हें बिक्की सिंह के नाम से जाना जाता है। अभी वे 40 वर्ष के हैं। चकाई सीट पर सुमित कुमार सिंह के परिवार की अच्छी पकड़ रही है, इसी कारण वे यहां से निर्दलीय भी जीत हासिल करने में सफल रहे। सुमित कुमार सिंह जेएनयू के छात्र रहे हैं। 2010 में पहली बार वे चकाई विधानसभा सीट से जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की टिकट पर विधानसभा पहुंचे। 2015 में भी निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन सफल नहीं हुए।2020 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार में पहली बार वे मंत्री बने। उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी मिली। उनके पिता नरेंद्र सिंह और दादा श्रीकृष्ण सिंह भी बिहार सरकार में मंत्री रहे थे। नरेंद्र सिंह 2005 में पहली बार जब नीतीश कुमार की सरकार बनी तो कृषि मंत्री बनाए गए। दादा स्वतंत्रता सेनानी और मुंगेर से सांसद भी रहे थे।