भारत में कई सारे चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर है, जिनका अपना इतिहास है. ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के सीकर जिल में है, जिनको हम हारे का सहारा, खाटू श्याम बाबा, मौरवी नंदन, तीन बाण धारी, कलयुग के देवता कहते हैं. खाटू श्याम बाबा की भी एक रहस्‍यमयी कहानी है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है.

आज के समय में हम जिनकी खाटू श्याम बाबा के रूप में पूजा करते हैं, असली में वह द्वापर युग के महाभारत समय के बर्बरीक हैं, जो तीन बाण धारी योद्धा थे. बर्बरीक पांडव पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे थे. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश दान मांगा था.

वहीं, बर्बरीक ने बिना कुछ सोचे अपना शीश दान कर दिया था. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को कलयुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था. साथ ही कहा था कि उस समय जो भी भक्त हार करके तुम्हारे पास आएगा, तुम उसका सहारा बनोगे और जो तुम्हारे दरबार से कोई भी निराश नहीं लौटेगा.

कहते हैं कि महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक की शीश रूपवती नदी में बहा दिया था. इसके बाद उनके शीश को सीकर के खाटू गांव में जमीन में दफनाया गया था. वहीं, एक बार वहां से एक गाय जा रही थी, जिसके थनों से अपने आप दूध बहने लगा, जिसे सब देखते रह गए.

इसके बाद इस बात की सूचना राजा को दी गई. वहां राजा पहुंचे और उन्हें वह दृश्य देख अपना सपना याद आया. उन्होंने कुछ दिन पहले सपने में देखा था कि भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आदेश दिया था एक स्थान पर जमीन में शीश दफन है, जिसको स्थापित करके मंदिर बनाया जाए.

वहीं, इसके बाद उस जमीन की खुदाई करवाई गई, जहां एक शीश मिला. शीश के निकलने के बाद राजा ने उस शीश को स्थापित किया और मंदिर बनवाया. आज उस मंदिर को हम खाटू श्याम के मंदिर के रूप में पूजते हैं.

INPUT : ZEE NEWS