बिहार में युवा लड़कों से ज्यादा लड़कियां तंबाकू का सेवन कर रही हैं। 13 से 15 आयु वर्ग में लड़के 6.6 फीसदी जबकि लड़कियां 8 फीसदी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रही हैं। बिहार में 7.3 फीसदी छात्र/छात्राएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। हालांकि राष्ट्रीय औसत 8.5 फीसदी है। ग्लोबल यूथ टुबैको सर्वे के तहत बिहार से संबंधित रिपोर्ट मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू सेवन के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता को लेकर शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों में सौ फीसदी तो ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को जानकारी है।

राज्य स्वास्थ्य समिति परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में श्री पांडेय ने कहा कि बिहार को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में सभी के सहयोग की जरूरत है। 2010 में बिहार में 53.5 फीसदी लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन करते थे जो कि 2018 में घटकर 25.9 फीसदी हो गई है। तंबाकू के ओवरऑल सेवन में कमी आयी है। 19 जिले तंबाकू मुक्त घोषित हो चुके है। उन्होंने किसानों से तंबाकू की जगह वैकल्पिक खेती को अपनाने पर जोर दिया।

इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने ग्लोबल यूथ टुबैको सर्वे में लड़कों से ज्यादा लड़कियों में तंबाकू उत्पादों की स्वीकार्यता पर अचरज व्यक्त किया और कहा कि रिपोर्ट के आधार पर आगे नीति निर्धारण करने में यह सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसके प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी।

राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने कहा कि 27 करोड़ लोग देश में प्रतिवर्ष कैंसर से पीड़ित होते है। उन्होंने तंबाकू नियंत्रण को लेकर किए गए कार्यों की जानकारी दी। सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्र ने कहा कि बच्चों व युवाओं को तंबाकू के दुष्परिणामों से बचाने के लिए कोटपा कानून में संशोधन की आवश्यकता है। राज्य व केंद्र सरकार को तंबाकू सेवन की उम्र सीमा 18 से बढ़ाकर 21 साल करना चाहिए। इस कार्यक्रम में अपर मुख्य कार्यपालक निदेशक अनिमेष पराशर, मुंबई के डॉ. नागराजन सहित अन्य प्रमुख लोग शामिल हुए।