बिहार में शराबबंदी कानून को सफल बनाने के लिए पुलिस वाले किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसा हम नहीं, सीतामढ़ी पुलिस की पिटाई से मरे मो. नजाम के शरीर पर जख्म के निशान बता रहे है। यह तस्वीर उस वक्त की है जब देर शाम उसे अंतिम समय में सदर अस्पताल लाया गया। स्वजनों का आरोप है कि मद्य निषेध पुलिस की पिटाई से मौत हुई है।

मृतक मो. नजाम के शरीर पर पिटाई के निशान

शहर के वार्ड 42 के रहने वाले मृतक मो. निजाम के शरीर पर कई जगह जख्म के निशान है लेकिन जिले के पुलिस कप्तान ने पुलिस की पिटाई से साफ-साफ इंकार कर दिया है। उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही मीडिया को बताया कि ”शरीर पर बाहरी कोई चोट नहीं है। अतः प्रथम दृष्टया बिमारी के कारण मृत्यु प्रतीत होता है। परंतु पुरी तरह से स्पष्ट पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने पर होगा। प्रतीत होता है कि किसी बीमारी से मौत हुई है।”

मृतक की पत्नी मुन्नी खातून ने मीडिया को बताया कि 23 जनवरी को उनके पति मो. नजाम शौच करने के लिए बाहर निकले थे। इस दौरान इलाके में मद्य निषेध विभाग ने छापेमारी की और गिरफ्तार करके साथ ले गई। पूछने पर कहा कि शराब पिया हुआ है, जेल भेजेंगे। आरोप है कि एंटी लिकर टास्क फोर्स की टीम शामिल पुलिसकर्मियों ने बेरहमी से उसकी पिटाई की।

जेल सूत्रों के मुताबिक जेल में भी उसकी पिटाई हुई है। 35 वर्षीय मो. नजाम की हालत खराब होने के बाद जेल प्रशासन द्वारा 28 जनवरी की रात करीब 9 बजे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सकों ने जांच-पड़ताल के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। स्थानीय चौकीदार द्वारा इसकी सूचना परिजनों को दी गई जिसके बाद स्वजन अस्पताल पहुंचे।

सूचना पर पहुंचे अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार और अंचलाधिकारी चंद्रजीत प्रकाश की निगरानी में मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया है। आपको बता दें कि जब भी किसी की मौत सरकारी संस्था के हिरासत में होती है तो मजिस्ट्रेट की निगरानी में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अपनाई जाती है।

आपको बता दें कि इससे पूर्व भी मेहसौल ओपी क्षेत्र में एक शख्स को पुलिस ने शराब मामले में हिरासत में लिया था जहां उसकी मौत हो गई। इस मामले में तत्कालीन ओपी प्रभारी को मोसिर अली को निलंबित किया गया था। इस मामले में न्यायिक जांच हुई और फिर पुलिस को क्लीन चिट मिल गई थी।

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