बिहार में चल रही जातीय जनगणना को लेकर राजनीतिक पारा काफी गरम है. जाति आधारित जनगणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल को ही शुरू हो चुका है. वहीं इसे रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं.

जिसमें नीतीश कुमार की सरकार को बड़ी राहत मिली है. पटना हाई कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई अब 4 मई को होगी.

जाति आधारित जनगणना को रोकने के लिए लगभग आधा दर्जन से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं. मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन व न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने मंगलवार (18 अप्रैल) को इन याचिकाओं पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि वह फिलहाल जातीय जनगणना में रोक नहीं लगाने वाली है. 

  • राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि दायर की गई याचिका में आकस्मिक निधि से 500 करोड़ निकालने का आरोप लगाया गया है, जो निराधार है.
  • आवेदक की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वकील अपराजिता साहू ने अपनी दलील में कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही है. जो अपनी जाति का खुलासा नहीं करना चाहता, उसकी जाति भी सभी को पता चल जाएगी. 
  • उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास किसी के भी धर्म और समुदाय का जिक्र करने का अधिकार नहीं है, ऐसा करके वह संविधान का उल्लंघन कर रही है. 
  • इस दौरान कई वकीलों ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने का अनुरोध कोर्ट से किया. जिसपर कोर्ट ने सभी मामलों पर 4 मई को सुनवाई करने का आदेश दिया है. 
  • बता दें कि राज्य सरकार ने जातीय गणना के दूसरे चरण के लिए पहली मार्च को अधिसूचना जारी की है. इसके तहत जातीय गणना के दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू हो गया है जो 15 मई तक पूरा होगा.

Input: – Zee News