पटना से उत्तर बिहार जाने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है। जल्द आपको गांधी सेतु पर घंटों लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी और सफर आसान हो जाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात जून को महात्मा गांधी (एमजी) सेतु के पूर्वी हिस्से को राष्ट्र को समर्पित कर देंगे। इसके बाद पुल के दोनों लेन से वाहनों का आवागमन शुरू हो जाएगा। बिहार के राज्य सड़क निर्माण विभाग मंत्री नितिन नबीन ने इसकी जानकारी दी।

गडकरी ने 31 जुलाई, 2020 को 5.57 किमी लंबे एमजी सेतु पर यातायात को हरी झंडी दिखाई थी। यह उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच लाइफलाइन है। हालांकि तब यह आयोजन वर्चुअल मोड में आयोजित किया गया था। गडकरी कोविड के कारण नई दिल्ली से इसमें शामिल हुए थे। नीतीश पिछले महीने गडकरी द्वारा 6-लेन के कोईलवार ब्रिज के उद्घाटन के लिए कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। वे एमजी पर आवागमन शुरू करने के दौरान केंद्रीय मंत्री के साथ नजर आएंगे।

इस साल फरवरी में मुंगेर रेल-रोड पुल को सड़क यातायात के लिए खोल दिया गया था। हालांकि, गडकरी उस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी शामिल हुए थे। सड़क निर्माण मंत्री नबीन और अतिरिक्त मुख्य सचिव, सड़क, प्रत्यय अमृत ने गुरुवार को यातायात के लिए पूर्वी हिस्से को खोलने से पहले उसका अंतिम बार निरीक्षण किया। इससे पुल पर पड़ने वाला ट्रैफिक बोझ काफी कम हो जाएगा। इसके साथ ही पटना और हाजीपुर दोनों तरफ के अप्रोच को भी कम कर देगा।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पुल का पुनर्निर्माण 1,742 करोड़ की लागत से किया गया है। यह राशि प्रधानमंत्री ने पैकेज के आधार पर बिहार को दी थी। हालांकि, यह नदी पार ट्रैफिक के दवाब को झेसने में असमर्थ था, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर पुल के दोनों किनारों पर कई-कई घंटों तक भारी जाम लगा रहता था। गंगा नदी पार करने के लिए भारी वाहनों के लिए निकटतम पुल भोजपुर में है, जो मौजूदा एमजी सेतु के लगभग 35 किमी पश्चिम में है।

बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (बीसीसीआई) और ट्रक मालिकों के संघ के अधिकारियों ने कहा कि वे दोनों तरफ से पुल के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि एमजी सेतु पर लगातार ट्रैफिक जाम ने उनके कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है। बिहार ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भानु शेखर प्रसाद सिंह ने कहा, ‘एमजी सेतु पर बार-बार ट्रैफिक जाम लगने से परिवहन की लागत बढ़ गई है।’

1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारत में नदी पर बने सबसे लंबे पुल के रूप में एमजी पुल का उद्घाटन किया गया था। 1999 से 2016 तक यह पुल रिपेयर मोड में चला गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसके पुनर्निर्माण योजना को मंजूरी दी। माना जाता है कि इसकी मरम्मत पर लगभग 250 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जबकि इसके मूल निर्माण की लागत 87 करोड़ थी।