बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल जल योजना कुरसेला प्रखंड में अनियमितता की भेंट चढ गई है। प्रखंड क्षेत्र के पांच पंचायत तथा एक नगर पंचायत के विभिन्न गांवों में जल नल योजना अधिकारियों तथा प्रतिनिधि की मनमानी की भेंट चढ़ गई है। वार्डों में जलापूर्ति के लिए टावर भी बनाए गए हैं। कुछ वार्डों को छोड़कर एक भी परिवार की प्यास योजना के जल से नहीं बुझ सकी है। कई पंचायतों में सात निश्चय योजना के तहत पानी टावर तो बना दिया गया है। लेकिन अब तक नल का पानी नहीं पहुंच रहा है। कुछ स्थानों पर पाइप बिछाई गई है तो उसमें पानी सप्लाई नहीं हो रही है। कहीं कहीं तो सड़क के किनारे सड़क निर्माण के कारण पाइप कट गया है। जिससे पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। लोगों का कहना है कि सरकार की महत्वाकांक्षी सात निश्चय योजना भ्रष्टाचार कीभेंट चढ गई है। इसके तहत सड़क के किनारे जलापूर्ति के लिए जमीन के नीचे तीन फीट की जगह मात्र आधा फीट नीचे गड्ढा खोदकर पाइप लगाया गया है। सड़क निर्माण के कारण कई जगहों पर पाइप क्षतिग्रस्त हो गया है। बोरिग कर वाटर टावर पर रखे टंकी तक पानी पहुंचने के बाद अधिकारियों व प्रतिनिधियों ने योजनाओं को पूर्ण मान लिया। पंचायतों में लाखों रुपए के बावजूद कुछ टोला, मोहल्ला को छोड़ दें तो एक भी परिवार तक समुचित ढंग से जलापूर्ति नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने इस जल नल योजना में अनियमितता की उच्च अधिकारियों से जांच कर कार्रवाई की मांग की है। पानी का टावर बना शोभा की वस्तु:

उत्तरी मुरादपुर पंचायत के हरिजन टोला वार्ड संख्या आठ के लोगों ने बताया कि गांव में जलापूर्ति के लिए टावर बनाए गए हैं। लेकिन एक भी परिवार तक पानी नहीं पहुंच रही है। जबकि विभाग से इस कार्य केा पूरा बताया जा रहा है। इतना ही नहीं विभाग के अनुसार सभी पंचायतों में वाटर टावर चालू है । उत्तरी मुरादपुर के हरिजन टोला के वार्ड आठ में टावर निर्माण के बाद टंकी लगाया गया। लेकिन टंकी फटा हुआ है। जिससे पानी सप्लाई बंद है। स्थानीय अवधेश पासवान, पंकज पासवान आदि ग्रामीणों ने बताया कि जल नल योजना से पानी की आपूर्ति लोगों के घरों तक नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है उत्तरी मुरादपुर पंचायत के तीन नंबर वार्ड में कई कारणों से पानी सप्लाई बंद है। अधिकारियों की फाइल में जल नल योजना चालू होने के बावजूद अधिकांश जगह पानी की आपूर्ति बंद है। लेकिन विभाग है कि सुनती ही नहीं। इसकी जांच होनी चाहिए । यदि निष्पक्ष तरीके से जांच की जाती है तो एक पंचायत में लाखों रुपए का घपला उजागर हो सकता है।