नवंबर महीने के पहले सोमवार को मुख्यमंत्री का जनता दरबार हुआ। जनता दरबार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया कर्मियों से बातचीत की। इस दौरान सीएम नीतीश ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। तेजस्वी के लगातार हमले पर सीएम नीतीश ने कहा कि हम पर अनाप शनाप बोलने से पब्लिसिटी मिलती है इसलिए बोलते रहता है।

वही तेजस्वी के बयान को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसको जो मन में आता है बोलता है उस पर हम ध्यान नहीं देते। इसका कोई मतलब नहीं निकलता। हम पर अनाप शनाप बोलने पर पब्लिसिटी मिलती है। बिहार की जनता मालिक है वह सब देख रही है। हमारा जो काम है वह हम कर रहे हैं। कुशेश्वरस्थान और तारापुर उपचुनाव पर कल जनता का फैसला आ जाएगा।

वही देश में बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अब कोई यहां की बात तो नहीं ना है पूरे देश की ना बात है। यहां के बारे में कोई बात हो तब ना। सीमित जगह की बात होती तो बात थी यह तो पूरे देश की बात है। प्रतिदिन यह खबर सामने आती रहती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम कभी बढ़ता है तो कभी कम होता है। इस पर हमलोग क्या कर सकते हैं। यह कोई नई चीज नहीं है।

गौरतलब है कि बीजेपी नेता और पूर्व एमएलसी टुन्ना पांडेय ने उपचुनाव में आरजेडी की जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव में आरजेडी दोनों सीटों पर जीत हासिल करेगी. इसके बाद राज्य में आरजेडी की सरकार बनेगी। वही राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी दिल्ली से पटना लौटने के बाद यह दावा किया था कि परिणाम के बाद सत्ता पक्ष में भगदड़ मचेगी.
इसी बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनकी पार्टी के उम्मीदवार दोनों ही सीटों पर काफी मतों के अंतर से जीत रहे हैं. इस बीच चुनाव आयोग ने मतगणना को लेकर जो व्यवस्था बनाई है, उसमें राजद की एक मांग पूरी हो गई है. तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता सरकार से ऊब चुकी है. आरोप लगाया कि महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लालफीताशाही सब चरम पर है. सरकार ने प्रशासन का पूरा दुरुपयोग किया. पीडीएस डीलर को तंग किया गया, लेकिन सारे हथकंडे नाकाम हो गये.
कहा जा रहा है कि चुनाव परिणाम का तत्काल असर तो बिहार की सियासत में नहीं पड़ने वाला लेकिन भविष्य को लेकर आशंका भी बनी हुई है. राजद के नेताओं के बयानों पर गौर करें तो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के बयान का साफ मतलब निकाला जा रहा है कि अगर दोनों सीटों पर राजद की जीत होती है तो सरकार मुश्किल में आ सकती है. देखा भी जाए तो सत्ता और विपक्ष में बहुत ज्यादा सीटों का अंतर भी नहीं है.
विधानसभा के गणित की बात करें तो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के आकंड़े के लिए 122 सीटों की जरूरत है. फिलहाल एनडीए के पास 126 विधायकों का समर्थन है. जबकि विपक्षी दलों के महागठबंधन में 110 विधायक हैं. एनडीए में जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की वीआईपी के चार-चार विधायक भी शामिल हैं. इसके अलावा जमुई जिले के चकाई सीट से जीत हासिल करने वाले इकलौते विधायक सुमित सिंह का भी समर्थन नीतीश सरकार को ही हैं. इसलिए उन्हें मंत्री भी बनाया गया है. साथ ही चिराग पासवान की एलजेपी और मायावती की बीएसपी के एक-एक विधायक राजकुमार और जमा खान ने भी जेडीयू की सदस्यता हासिल कर ली है।
इधर चर्चा है कि इस उपचुनाव में कांग्रेस भले ही राजद से अलग होकर चुनाव लड रही हो, लेकिन जब सरकार बनाने की बात आएगी तो वह राजद के साथ होगी. अगर आरजेडी अगर इन दोनों सीटों पर जीत हासिल कर जाती है. तो महागठबंधन में विधायकों की संख्या 112 हो जाएगी. लेकिन सरकार बनाने के लिए 122 विधायक चाहिए. एआईएमआईएम के पास 5 विधायक हैं. ऐसे में संख्या 117 की हो जाएगी. लेकिन जब तक मांझी और सहनी सरकार में हैं. तबतक सरकार बनाने के दावे हवा-हवाई बातें कर भूमिका बांधने से ज्यादा कुछ भी नहीं लग रहे.
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