भारत-नेपाल सीमा पर भारतीय व नेपाली नोटों की तस्करी खूब होती है। नोट बदलने का यह धंधा अवैध रूप से चलता है। इसमें पूरा गिरोह काम कर रहा है। सीतामढ़ी में 41 लाख की नेपाली व भारतीय करेंसी के साथ पकड़े गए दो धंधेबाजों ने पूछताछ में कुछ ऐसी ही जानकारी दी है। पुलिस इस पूरे गिरोह के बारे में पता लगा रही है।

सीतामढ़ी के भिट्ठामोड़ में सात सितंबर को नेपाल के महोत्तरी जिले के जलेश्वर थाना अंतर्गत खैरा गांव निवासी कृष्णा साह को 10 लाख 93 हजार नेपाल करेंसी के साथ पकड़ा गया था। उसकी निशानदेही पर भिट्ठामोड़ में कृष्णा मोबाइल सर्विस सेंटर नामक दुकान में छापेमारी कर 11.96 लाख नेपाली और 17.90 लाख भारतीय रुपये बरामद हुए थे। पूछताछ में कृष्णा ने बताया कि वह प्रतिदिन भारतीय करेंसी भारत में और नेपाली करेंसी नेपाल में बदलने के लिए ले जाता है। इससे पहले अप्रैल में बैरगनिया से सटे नेपाल के गौर बार्डर पर 14 लाख रुपये नेपाली पुलिस ने पकड़ा था। अप्रैल में ही मेजरगंज में 50 लाख रुपये पकड़ा गया था।

वहीं सोनबरसा में मई 2021 में 40 लाख, जनवरी में 34 लाख रुपये बरामद हुए थे। अक्टूबर, 2021 को परिहार प्रखंड में नेपाल निवासी सिंघेश्वर राय यादव के पास से 69 हजार 420 भारतीय तथा नौ लाख 42 हजार 195 नेपाली रुपये मिले थे। 13 अक्टूबर, 2021 को दो युवकों के पास से 5.30 लाख भारतीय व 37 हजार नेपाली करेंसी बरामद हुई थी। सभी मामलों में नोट की तस्करी की बात सामने आई

सीतामढ़ी के नेपाल से सटे बैरगनिया, भिट्ठामोड़, सोनबरसा, मेजरगंज व परिहार से रोजाना करोड़ों का लेन-देन हो रहा है। कई बार हैंडलर पकड़े जाते हैं, लेकिन बड़ी मछलियां पकड़ में नहीं आतीं।

इस कारण चल रहा धंधा

नेपाल सीमा से सटे सीतामढ़ी, रक्सौल, मधुबनी व पश्चिम चंपारण में कहीं भी करेंसी एक्सचेंज का अधिकृत केंद्र नहीं है। धंधेबाज पांच प्रतिशत कमीशन पर भारतीय व नेपाली नोट बदलते हैं। सीमावर्ती भारतीय क्षेत्रों में अधिकतर खरीदार नेपाल से आते हैं। उनमें अधिकतर नेपाली मुद्रा में खरीदारी करते हैं। उक्त रुपये को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करने के लिए स्थानीय स्तर पर व्यवस्था नहीं होने का लाभ धंधेबाज उठा रहे हैं।