भारत में देश का सबसे बड़ा आम का बगीचा रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के पास है. इस बाग का नाम कंपनी के संस्थापक धीरूभाई अंबानी के नाम पर है. लगभग 600 एकड़ भूमि पर खड़ा यह बाग 1 लाख से अधिक आम के पेड़ हैं. इन पेड़ों पर लगभग 200 किस्म के आम लगते हैं.

केसर, अल्फांसो, रत्ना, नीलम, सिंधू, और आम्रपाली जैसी देसी किस्में यहां ज्यादा हैं. केवल देसी ही नहीं, विदेशी किस्में भी हैं, जिनमें फ्लोरिडा का प्रसिद्ध टॉमी अल्टकिन्स (Tommy Atkins) और केंट (Kent), इस्राइल से माया, लिली, केट जैसी किस्मों का उत्पादन भी होता है.

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इतना बड़ा आम का बाग भला रिलायंस ने क्यों लगाया? कहा जाता है कि कंपनी का मुख्य मकसद आम का उत्पादन करना नहीं था, बल्कि भारतीय कानूनों का अनुपालन करने के लिए ऐसा किया गया था. यह आम का बाग कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत 90 के दशक में स्थापित किया गया था.

प्रदूषण का स्थायी समाधान
दरअसल, रिलायंस को अपनी जामनगर रिफाइनरी में बड़े पैमाने पर प्रदूषण की चुनौती का सामना करना पड़ रहा था. ध्यान रहे कि रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी 7,500 एकड़ में फैली और इसमें 1,627 एकड़ में ग्रीन बेल्ट है. रिलायंस को रिफाइनरी से होने वाले प्रदूषण के बारे में कुछ कदम उठाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से चेतावनी मिली थी.

काफी समय से इस समस्या से जूझ रही कंपनी को इस परेशानी से बाहर निकालने का एक स्थायी समाधान चाहिए था. और इसका एक ही स्थायी समाधान था कि इतने पेड़ लगा दिए जाएं, जो प्रदूषण पर भारी पड़ें. रिलायंस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने यह समाधान खोजा.

आम के आम, गुठलियों के दाम
अब चूंकि पेड़ लगाने ही थे तो ऐसे पेड़ लगाना बेहतर होता, जो भविष्य में फल भी दे. हम सबने एक कहावत सुनी है कि आम के आम, गुठलियों के दाम. वही कहावत यहां चरितार्थ होती नजर आई. रिलायंस ने 600 एकड़ में आम के लाखों पेड़ लगाए. आम का पौधा बड़ा होकर फल देने तक समय लेता है.

90 के दशक में लगाये गए पौधों पर फल प्राप्त करने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा भी लिया गया. जामनगर की बंजर भूमि पर उगाए गए आम के पौधों के लिए पानी कंपनी के डिसैलिनेशन प्लांट से आता है. इस प्लांट में समुद्र का पानी साफ होता है.

पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल होता है. लगभग 500 कर्मचारियों और कंपनी के विजन का नतीजा यह निकला कि अब हर साल यहां से 10,000 टन आमों का उत्पादन होता है और देश-विदेश में पहुंचता है.

बता दें कि रिलायंस के इस बाग में पैदा होने वाले आमों को दुनिया के कई देशों को निर्यात किया जाता है. कंपनी आसपास के किसानों को अपने बाग में इस्तेमाल होने वाली तकनीक के बारे में भी जागरुक करती है. यहां हर साल किसानों को एक लाख पेड़ वितरित किए जाते हैं.

INPUT : NEWS 18