हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगावन शिव की रौद्र स्वरूप काल भैरव देव की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन के संकट, दुख, क्लेश दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं वैशाख के महीने में मासिक कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, डेट और महत्व.

कब है मासिक कालाष्टमी व्रत 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 01 मई को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 02 मई को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर होगा. इसके चलते 1 मई को मासिक कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ साबित होगा.

मासिक कालाष्टमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं और सुख-शांति का वास होता है. कहा जाता है कि कालाष्टमी व्रत रखने से नकारात्मकता ऊर्जा हमेशा दूर रहती हैं और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है.

भूलकर भी न करें ये गलतियां
– मासिक कालाष्टमी के दिन किसी भी तरह की नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
– कालाष्टमी के दिन भूलकर भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए, भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
– इस दिन मांस मदिरा और हर प्रकार के नशे से दूरी बनानी चाहिए. इससे शुभ परिणाम नहीं मिलते हैं.

करें कालभैरव अष्टकम का पाठ

काल भैरव अष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. SITAMARHI LIVE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

INPUT : ZEE NEWS