सूबे में को-वर्किंग स्पेस फॉर स्टार्टअप की शुरुआत होने जा रही है. उद्योग विभाग की ओर से इसको लेकर पूरी तैयारी की गयी है. पटना, मुजफ्फरपुर सहित सूबे के लगभग सभी जिलों में इस मॉडल को लांच किया जायेगा. उद्योग विभाग की ओर से बताया गया है कि जल्द इसे लांच किया जायेगा.

जानकारी के अनुसार अब को-वर्किंग स्पेस केवल नये उद्यमियों या फ्रीलांसर लोगों की पसंद नहीं रह गया है. अब बड़े कॉरपोरेट भी इसमें रुचि दिखाने लगे हैं. अभी तक यह देश के बड़े शहरों में ही चलन में है. पटना में भी कुछ कंपनियां इस तरह की व्यवस्था से चल रही हैं.

उद्योग विभाग की ओर से अलग-अलग शहरों के लिए प्लानिंग की गयी है. खास कर छोटे उद्यमी या कामकाजी लोग ऑफिस निर्माण का खर्चा नहीं उठा सकते है. उनके लिए यह कल्चर काफी सहयोगी साबित होगा.

क्या है को-वर्किंग स्पेस मॉडल

को-वर्किंग स्पेस मतलब एक ऐसा ऑफिस, जिसमें एक से ज्यादा कंपनियों के लोग बैठते हों. शुरुआत में फ्रीलांसर उद्यमियों ने इस व्यवस्था को अपनाया था. किसी अच्छी जगह पर अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए एक केबिन या दो-चार कुर्सियों की जरूरत वाले उद्यमियों के लिए यह शानदार विकल्प बनकर उभरा. अब बड़ी कंपनियां भी रिमोट लोकेशन पर किसी बने-बनाये सेटअप में अपने स्टाफ के लिए केबिन और डेस्क किराये पर लेने लगी हैं.

लागत बचाने के लिए इस विकल्प का चुनाव

फ्रीलांसर लागत बचाने के लिए को-वर्किंग स्पेस मॉडल का चुनाव करते हैं. वहीं स्टार्टअप और छोटे व मंझोले उद्यमी लागत के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी ध्यान में रखकर इसका चुनाव कर रहे हैं. बड़ी कंपनियां कार्यस्थल तक अपने स्टाफ की पहुंच को आसान बनाने के लिए इसका चुनाव कर रही है.

INPUT : PRABHAT KHABAR